Monday, June 11, 2012

इमरजेंसी  ?
कभी अहमदाबाद जाना हो तो वहाँ दो दो लोंगो के बारे में दरियाफ्त करियेगा .मनीषी जानी और उमाकांत माकन .जिस आंदोलन को आज जे.पी. आंदोलन कहा जाता है उसकी नीव में ये दो चेहरे है .मनीषी गुमनामी में चले गए हैं और हमारा दोस्त उमाकांत माकन कांग्रेस में है .१९७३ का वाकया है साइंस कालेज के मेस में अचानक समोसे का दाम बढ़ गया .बच्चों ने विरोध किया .विरोध बढ़ता गया और मामला सरकार तक चला गया .उस समय गुजरात में चिमन भाई की सरकार थी छात्र आंदोलन से निपटने के लिए सरकार ने हिंसा का सहारा लिया जिसके चलते पूरे देश विशेषकर उत्तर भारत बौखला गया .उन दिनों मै विश्वविद्यालय में समाजवादी युवजन सभा का संयोजक था . छात्रसंघ के पूर्व  अध्यक्ष देवब्रत मजुमदार ने हमसे कहा कि तुम्हे अहमदाबाद जाना है ,जार्ज(फर्नांडिस) वहा पर मिलेंगे .मै गया और भाषण देते समय पकड़ लिया गया .तुरंत छूटा भी पर कैसे वह मजेदार वाकया है ,विषयान्तर हो रहा है लेकिन तब की राजनीति समझने के लिए जरूरी है ...पुलिस हमें लेकर थाने पहुची ही थी कि इतने में कहीं से राज नारायण जी को पता चल गया कि हमें पुलिस ने पकड़ लिया है .एक अम्बेसडर कार से नेता जी आये और आते ही पुलिस से पूछा .- कौन है जी ..बनारस से येहां आ गया .. बुलाओ तो ...नेता जी इतना ताबक् तोड़ बोल रहें थे कि पुलिस वाला कुछ समझ ही नहीं पाया और उसने हमें नेता जी के सामने कर दिया फिर क्या था नेता जी  गुस्से में लगे चीखने (यह उनका स्थाई भाव था जिसके चलते हमारी तरह के कई लोग पुलिस से बचे हैं )..चुतिया हो .. यहाँ आने की क्या जरूरत थी .. क्रांतिकारी बनते हो ...ये तो समझो ये बेचारा (इशारा पुलिस की तरफ था ) शरीफ है ..नालायक चलो बैठो गाड़ी में .. अभी बताता हूँ ..और उनका 'बताना'इतनी जल्दी संपन्न हो गया कि पुलिस वाला जब तक समझा होगा हम उसकी जद से काफी दूर आचुके थे .
       यह वही आंदोलन है समोसेवाला जिसने इतिहास रच दिया .कल बताएँगे इस आंदोलन में जे.पी. कैसे कूदे ?

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