Monday, November 13, 2017

बतकही /चंचल
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दाम बांधो वरना गद्दी छोडो
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  बड़ा कमाल का निजाम मिला है . कमबख्त हमारा क़त्ल करता है , और इल्जाम भी हमी  पर डाल कर ताली पीटता है .१४ में चुनाव होगा इसकी पृष्ठिभूमि  १२ से ही बनने लगा , सियासत के नाम पर
जुम्लाबाजी करने वालों ने एक गिरोह बना इसमें मीडिया , अढतिया व्यापारी , चमकदार कुछ नाम मुट्ठी भर  बुद्धि जीवी .दुनिया महगाई के दौर सेगुजर रही थी , भारत ने अपनी अर्थ व्यवस्था को रोके रखा
इतना ही नही भारतीय समाज को किसी तरह का दिक्कत का सामना न करना पड़े , इसके लिए नौकरी पेशे से जुड़े लोंगो के लिए छठवा वेतनमान लागू किया और दुसरी तरफ किसानों की कर्जमाफी का
 ऐलान कर दिया . यह सासारी दुनिया के लिए एक नजीर बनी .यह बात प्रतिपक्ष को अखर गयी और उसने खेल शुरू किया .एक अपढ़ और लंठ अन्ना हजारे को पकड कर उसे गांधीवादी घोषित किया और उसकी
आड़ में संघ अपना खेल खेलता रहा . जनता के सामने महगाई को बढ़ा चदा कर पेश किया जब की वेतन बढ़ोत्तरी और किस्सान की कर्ज माफी को बिलकुल छिपा गया .मीडिया , कारपोरेट घराने और अध्तिया व्यापारी
मिल कर कांग्रेस को कटघरे में खडा कर दिया . नजीजा हुआ कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी .
  आज वह पुराने सवाल जिन्जिन पर चढ़ कर भाजपा हुकुमत में आयी वे जस का तस ही नही बने पड़े हैं बल्कि महगाई और भी बढ़ गयी है . घपला और घोटालों में चालीस फीसद का इजाफा हुआ है . जो बची खुची
अर्थ व्यवस्था थी उसे एक देश एक टैक्स के नाम पर जी यस टी लगा कर माध्यम और लघु उद्योग को दफना दिया जिससे रातो रात बेतोज्गारी साठ फीसद बढ़ गयी . नोट बंदी की अफरातफरी में बैंक की कमर तोड़ दी
प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरू आत की और ऐलान किया की वदेशों में जमा काला  धन वापस लायेंगे और एक एक खाते में १५ , १५ लाख रूपये जमा होगा .झूठ फरेब और मक्कारी से जनता को छला गया
अब एक एक कर के सब राज खुल रहे हैं . देश के कुल सात घरानों ने बैंक से कर्ज लिया , और  वापस देने से मना कर दिया .सरकार ने उन्हें माफ़ कर दिया सब मिला क्र देश की पूंजी का बटवारा , चंद सियासी लोग ,
कुछ मुह लगे नौकर शाह और कारपोरेट घराने में बंट गया . तुर्रा यह की यस  सारी पूंजी जनता की गाढ़ी कमाई का है .
    इसी हफ्ते देश को अजीब सुचना मिली की किस तरह विदेशों में देश का पैसा जमा है , जब सरकार ने वे नाम बताने से इनकार किया तो अन्तराष्ट्रीय खोजी पत्रकारिता समूह जिसमे भारत के दो अंग्रेजी अखबार भी सदस्य हैं
ने ; पैराडाइज ; नामक खुलासे में कई नाम खुल गये जिसे इंडियन इक्सप्रेस ने छाप दिया जिसमे सरकार के कई लोग शामिल हैं . दुसरी तरफ सांसद और मंत्री जयंत सिन्हा और संसद में सबसे बड़े धनी ए के सिन्हा भी
फंसे पड़े हैं / यह सब खुलना शुरू हुआ है . लेकिन सबसे पहले महगाई पर .
     २०१९ में संसद का चुनाव होना है , भाजपा जिस गति से उपर गयी थी , उसकी चार गुना गति से लुढक रही है ऐसे कांग्रेस का आना तय है . कांग्रेस जनों समेत कांग्रेस के तमाम समर्थक समूहों से अपील है की
वह कांग्रेस पर दबाव डाले की सरकार बनते ही सबसे पहले ' दाम बांधों ' पर अम्ल होगा . अगर खेत खलिहान के उत्पाद की कीमत सरकार तय करती है तो कारखाने के उत्पाद की भी कीमत सरकार तय करे . उसका
 नियम कानून बने . उत्पाद के लागत खर्च पर एक निश्चित प्रतिशत थ ही , कारखाना मुनाफ़ा कमा सके .
                                                                                                      'कांग्रेस से मांगो
                                                                                                       दाम बांधो