Monday, June 4, 2012

बच्चों की किताबों का मेला
'किताबों में बिल्ली ने बच्चे दिए हैं 'सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता है जो उन्होंने बच्चों के लिए लिखी है .हमने जब बच्चों के किताबों का मेला लगाने की रूप रेखा शुरू बनानी शुरू की तो महिला मित्रों से संपर्क साधा . फेस बुक पर पहली रूप रेखा दिया तो सबसे पहले ब्राजील की वीरा रईस  और संदीप वर्मा ने उत्साहित किया . चंडी भारती ने हिस्सेदारी करने की इच्छा जाहिर की हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार डॉ. काशी नाथ ने इसमें भाग लेने की अनुमति दी . डॉ. मंजुला चौधरी ,काशी विद्यापीठ के प्रो. सुरेन्द्र प्रताप ,डॉ. अवधेश सिंह ,असलम परवेज खान , प्रसिद्ध चित्रकार मोहम्मद इलियाश ने बच्चो के साथखेलने की सहमति दी .हमने हिन्दी के प्रसिद्ध प्रकाशक अशोक माहेश्वरी (राज कमल ,राधा कृष्ण.और लोक भारती प्रकाशन ) से बात की उन्होंने बच्चों की किताबों का पूरा jakheeraa ही भेज दिया .
          देखते हैं क्या होता है ? संदीप वर्मा ने सुझाया है की बच्चों को किताब आदान प्रदान की सुविधा मिले जिससे वो एक ही किताब तक महदूद न रहें ,एक किताब पढ़ कर उसे बदल कर दूसरी ले जाय .
     बच्चे कहानी लिखते हैं
     बच्चे चित्र बनाते हैं
     बच्चे खेलते हैं
     बच्चों की दुनिया देखी जाय .

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