Friday, February 19, 2016

चिखुरी / चंचल
पढ़ोगे -लिखोगे , होगे खराब
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       - ई जनेऊ का बवाल का है , फलाने ? लखन कहार के सवाल पर नवल उपाधिया को हंसी आ गयी . जनेऊ ? जनेऊ के बारे में कीन उपधिया को ज्यादा जानकारी होगी , क्यों कि वे इसके घोर समर्थक हैं , दिन में जितनी बार भी उन्हें लघु शंका सताती है , उतनी बार ये इसे बंदी में हाथ डाल कर निकालते हैं और कान को पकड़ कर बांध देते हैं फिर लघुशंका कर्ण भागते हैं . क्यों भाई  कीन सही कहा न ? कीन मुस्कुराए , वे जानते हैं ये जितने भी गैर संघी हैं सब के सब किसी न किसी बात पर हम्मे लापेंटँगें ही , चुनांचे इनसे बच के ही रहना चाहिए . लाल साहेब जो अब तक भट्ठी सुलगा रहे थे ,ने नया जुमला फेंका - लघुशंका मतलब यही न ? कहते हुए उन्होंने दाहिने हाथ की कँगुरिया खड़ी कर दी . नवल ने तस्दीक कर दिया , हाँ वही भाई जो हम लोग बचपन में स्कूल मास्टर को दिखा कर , भाग जाते थे झाडी की तरफ . लाल साहेब ने अब दुसरा सवाल ठोंका - एक बात बताओ गुरु ! कान क्यों बाधते हो ? कि इधर से न निकल जाय ? कीन गुस्सा हो गए - ये तो हद्द है , किसी का मजाक ऐसे उडाया जाता है ? यह हमारा धर्म है . हिंदू धर्म . भिखई मास्टर ने सवाल को ऐसा टेढ़ा किया कि उसका जवाब कीन के पास नहीं था - मत्लाब्जो जनेऊ न पहने वह हिंदू नहीं है ? मद्दू पत्रकार को मौक़ा मिल गया - ये अज्ञानी है , कीन . इसे माफ कर दो भाई , किसी जमाने जब समाजवादियों ने जनेऊ तोडो आंदोलन शुरू किया तो , ये हाफ पैत्वालों ने जम्मू की एक सभा में जे पी पर हमला कर दिया था . चिख्री जो अब तक अखबार में उलझे थे उन्हें कोइ आहत मिली - ये अचानक जनेऊ कहाँ से आ गया ? मामले को सम्भाला लखन कहार ने - आप तो जानते ही हैं दादा ! जिस दिन से आपने कहा कि अखबार बिक गए हैं , हमने पढ़ना और टीवी देखना दोनों ही बंद कर दिया ,लेकिन ससुरा मन नहीं मानता. बिल्लुआ से पूछ लेटा हूँ , वह जो बता देता है वही समझ लेता  हूँ . आज दो दिन से वह एक ही बात बोल रहा है - जनेऊ का बवाल . कयूम मियाँ चौंके - जनेऊ का बवाल ? मद्दू पत्रकार ने ठहाका लगाया . जे बात ! भाई वो जनेऊ नहीं है , जे यन यू है . जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी .
 इस्स्स ! कह कर लखन कहार ने गर्दन झुका  ली . बस इतना सुनना था कि , कीन उपाधिया पार्टी लाइन पर आ गए - बवाल नहीं जे सब सच है , वहाँ राष्ट्रद्रोही रहते हैं , भारत माता के खिलाफ नारे लगाते हैं , पाकिस्तान जिन्दावाद बोलते हैं , पाकिस्तान के झंडे फहराते हैं , इन्हें तो गोली मार देनी चाहिए . नवल भड़क गए - कौनो पनही ना पहने अहे रे , मार तो चार पनही उही मुह पे , के कहत रहा बे कि हुआँ इ सब होता है ? मद्दू पत्रकार ने रोका - रुको , शान्ति , शांत ... असल बात जे है कि उस विश्वविद्यालय में ज्यादा तर छात्र और अध्यापक कम्युनिस्ट विचार के हैं . यह बात संघी घराने को कत्तई नहीं पसंद है . तो जब सरकार में आ गए तो लगे उसके खिलाफ  षड्यंत्र करने . इसके लिए अपने ही लोगों से देश बिरोधी नारे लगवाए और नाम डाल दिये छात्र संघ अध्यक्ष कन्हया कुमार का .और लगे हाथ गिरफ्तार भी कर लिए . इतना ही नहीं घर मंत्री ने ताबक तोड़ हाहिज सईद के समर्थन का भी ऐलान कर दिये .
- कयूम मियाँ ने पूछा - ये हाफिज कौन है भाई ?
यह दुनिया का माना हुआ आतंकी है , इसके बारे में अपने घर्मंत्री ने बोल दिया कि इसने विश्वविद्यालय के अलगाववादी ताकतों का समर्थन किया ,जो कि गलत साबित हुआ . इस तरह तो अपनी सरकार चल रही है . और जेल में जलालत झेल रहा एक बेगुनाह कन्हैया कुमार .
- ये कन्हैया कुमार क्या है ?
- कन्हैया कुमार की कई गलतिया हैं . एक - कन्हैया कुमार बिहार का है . उसी बिहार का जिस बिहार ने अभी हाल के चुनाव में सरकारी पार्टी को घर का रास्ता दिख दिया था . सरकार को लगा कि बिहार डिल्ली में आकर मुह चिढा रहा है . दो - कन्हैया जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष बना , और यह बिश्व्विद्यालय खुदा न  खास्ता डिल्ली में है , बिहार या उत्तर प्रदेश में होता तो कोइ बात नहीं लेकिन दिल्ले में आकर चुनौती देगा ? तीन - कन्हैया कम्युनिस्ट भी निकला . कम्युनिस्ट नाम सुनते ही संघ का खून खुल जाता है . इन तीन खामियों के अलावा और भी कई बाते हैं जो इन्हें नहीं पचती . चुनांचे सरकार को पूरा हक है कि जो उससे सहमत न हो उसे उसकी मरम्मत कर दे . कन्हैया को इसी फेर में फंसा कर
तीनो सजा दी जाय . एक - जेल , दो - यातना . तीन अपने लोगों को खुली छूट कि उसे अदालत के सामने शारीरिक धुलाई की जाय . और वही हुआ .
नतीजा का रहा ? लखन कहार का जवाब दे रहे हैं चिखुरी . - होना क्या था , सब खेल उजागर हो गया , नारा लगानेवाले संघी , पुलिस में शिकायत करनेवाले संघी , गिरफ्तारी करने वाली पुलिस संघ की मेहर . अब कह रही है गलती हो गयी . घर मंत्री की एजेंसी कह रही है कन्हैया निर्दोष है . सारा देश कुनमुना गया . आज कन्हैया के लिए देश के सबसे बड़े वकील सोली सोराब जी वकालत करने को तैयार हैं .
नवल ने सवाल उठाया - तो ये लोग ऐसा करते क्यों हैं  ?
- माहौल बिगड़े , तनाव बढे , अभी बीजा पुर में संघ के छ लड़के पकडे गए हैं जिन्होंने पाकिस्तानी झंडा , तहसील की इमारत पर चुपचाप लटका आये थे . पकडे गए हैं . इसका जवाब देश की सरकार नहीं दे पा रही है . यह हैः गुजरात माडल .
- हूँ . तो ये है गुजरात माडल ? कहके नवल ने कीन की ओर देखा और फगुआ गाते हुए आगे निकल गए -
   

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