Thursday, August 9, 2012

मोहन से महात्मा तक 
अब तक गांधी साम्यवादियो और संघियो के निशाने पर थे ,अब एक नयी जाति और उभरी है जो अपने आपको दलित उद्धारक कहती है उसने भी गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और बे सर पैर के आरोप लगा रही है .एक छोटे से  अरसे तक हम भी गांधी को थोड़ा  ढीला ढाला नेता मानता रहा .लेकिन जेल यात्रा ने मेरे लिए जो सबसे बड़ा काम किया वह था गांधी को जानना .ज्यों ज्यो गांधी को पढ़ता गया ,गांधी कके प्रति जो दुराग्रह था दूर होता गया .और इसमें डॉ लोहिया के लेखन ने बहुत मदद किया .' भारत विभाजन के अपराधी ' ( डॉ लोहिया ) पढते समय यह महसूस हुआ कि एक शख्स जिसने सत्य और अहिंसा के सहारे न केवल आजादी की लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की बल्की सारी दुनिया को इस सत्य और अहिंसा से बने एक हथियार 'सिविल नाफरमानी '( न मारेंगे ,न  मानेगे ) को उनके हाथ में दे दिया जो दबे और कुचले लोग थे , मजबूर थे मजलूम थे ,उन्हें अपने हक के  लड़ने की ताकत दी .उस निहत्थे महात्मा को एक कट्टर और कायर संघी ने क्यों ह्त्या की ? वह शख्स जो बटवारे का कत्तई पक्षधर नहीं था उस पर इन संघियों ने बटवारे  का झूठा आरोप क्यों लगाया ? जब कि सच्चाई यह है कि बटवारे का समर्थन संघ और साम्यवादी दोनों कर रहें थे .जिन्ना का नारा था मुसलमानों  पाकिस्तान चलो ,संघ  का नारा था -मुसलमानों भारत छोड़ो .कम्युनिस्ट का बाकायदे प्रस्ताव था .पाकिस्तान बनाओ .मुस्लिम लीग का डाइरेक्ट एक्सन दंगा में तब्दील हो चुका था .लन्दन में बैठा चर्चिल बटवारे की स्क्रिप्ट लिख रहा था .गांधी और उनके साथ समाजवादी कांग्रेस को छोड़ कर कोइ और नहीं था जो बटवारे का विरोधी रहा हो .कांग्रेस नेतृत्व 'गृह युद्ध 'की स्थिति से विचलित थी . सरदार पटेल कुछ ज्यादा ही मुखर थे .गांधी अकेला है .डॉ लोहिया ने समूचे दस्तावेज को उघार कर लिखा कि जब गांधी को जो कि कांग्रेस कार्य कारिणी के आमंत्रित सदस्य हैं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है .( १९३४ में गांधी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है ,इस आशय के साथ कि जब भी कभी कांग्रेस चाहे वह उन्हें आमंत्रित कर सकती है ,..इस इस्तीफे के बाद गांधी चरखा और अछूतोद्धार का कार्य क्रम चला रहें थे ,इससे गांधी को समझा जा सकता है कि जब आजादी बिलकुल साम्ने खड़ी है गांधी की चिंता 'अछूत ' और दलित है .इस गांधी ने अछूत और दलित में उठ खड़े होने की इक्षा शक्ति पैदा की .वही लोग जब गांधी को गरियाते हैं तो उनकी दिमागी हालत पर तकलीफ होती है .) बटवारे के सवाल पर बैठी कांग्रेस कार्य कारिणी में  गांधी ने दो प्रस्ताव सुझाया -एक अंग्रेज चले जायं बटवारा हम कर लेंगे .दो -कांग्रेस दो राष्ट्र के सिद्धांत को नहीं मानती .इस सवाल के पहले पटेल ,नेहरू और लोहिया के बीच झड़प भी हुई कि बटवारे की पूर्व सूचना गांधी को क्यों नहीं दी गयी ?.
        हमने इस लिए जिक्र किया कि आज गांधी को जानने की ज्यादा जरूरत है .विशेष कर नयी पीढ़ी को .कुछ लोग गांधी को निहायत ही रूखा समझते हैं .( बहुत दिनों तक हम भी इसी राय के थे लेकिन ज्यो ज्यो गांधी के न्नाज्दीक जाता गया  पर्दा हटता गया .हमने जान बूझ कर गांधी और दुनिया के सबसे बड़े हास्य कलाकार  चार्ली चैप्लिन की तस्वीर चिपकाया )) यह उस समय की तस्वीर है जब १९२९ में गांधी के आह्वाहन पर विदेशी कपड़ों की होली जला कर गांधी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेने लन्दन गए थे .मीडिया ने गांधी से जानना चाहा  था कि कांफ्रेंस के अलावा और क्या प्रोग्राम है ? गांधी ने कहा -एक - मानचेस्टर के मजदूरों के बीच रहूँगा और दूसरा चार्ली चैप्लिन से मिलूँगा .यह दोनों बाते राज नीति से जुड़ी हुई थी और चर्चिल का जवाब भी था .( चर्चिल ने गांधी को अधनंगा फ़कीर कहा था .और गांधी को मशखरा कहा था ) मानचेस्टर के मजदूरों के बनाए गए कपड़ों की होली जला कर उनके बीच जाना और अधनंगे जाना हिन्दुस्तान की हकीकत बयान करता है .दूसरा जवाब था -सुना है चार्ली चैप्लिन हमसे भी बड़ा मसखरा है ... इस बयान के बाद चार्ली चैप्लिन अपनी शूटिंग रोक कर गांधी के साथ आ मिला ...

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