Sunday, August 12, 2012

लोहिया: एक कुजात गांधीवादी 
फेसबुक पर अचानक गांधी और लोहिया जेरे बहस हो गए .यह शुभ शुरुआत है .अब तक गांधी को 'गरियाने ' वालों में संघी और साम्यवादी थे अब एक तबका और आ मिला है वह है ' दलित उद्धारकों ' का.कल संदीप जी ने बाजारवाद की प्रतिस्पर्धा को आर्थिक गैरबराबरी औए विपन्नता का मूल कारण बताया जो सच भी है .लेकिन इससे निजात कैसे मिले ? बीसवीं सदी ने सबसे ज्यादा इस सवाल को अह्मियती दी .दो 'राजनीतिक दार्शनिक' सामने आये .एक मार्क्स और दूसरे गांधी .मार्क्स ने एकबारगी सब को चौका दिया जब उसने ' द्वंदात्मक भातिक्वाद ' की स्थापना की और 'थेसिस  , एंटीथेसिस और सेनथेसिस के आधार पर न केवल इंसानी सभ्यता के विकास को समझाया बल्की आर्थिक सोच को भी परि लक्षित किया .मार्क्स जब तक 'दर्शन ' पार रहता हहै निश्चित रूप से वह बड़ा हो जाता है लेकिन उसके साथ राजनीति के दो तत्व और ,जो निहायत ही जरूरी होते हैं ,वो गायब मिले . दर्शन का समाज में प्रयोग और और उस दर्शन के आधार पर समाज बनाने के लिए नेतृत्व .मार्क्स केवल दार्शनिक बन कर रह जाता है ,वह नतो सामाजिक बैज्ञानिक बन पाता है न ही लीडर .दूसरे छोर पर गांधी का प्रवेश होता है .गांधी जन सामान्य की भाषा में आर्थिक विषमता का निदान देता है -उत्पादक .उत्पादन और उपभोक्ता  का .मार्क्स के बर् अक्स गांधी उत्पादन को विकेंद्रित कर देता है और उसका वैज्ञानिक प्रयोग पहले खुद पर करता है .फिर समूचे समाज को इस डगर पर चलने को कहता है इस तरह गांधी राजनीति के तीनो हिस्से को एक साथ जीता है .गांधी का मानना है कि तुम उत्पादक हो और तुम्ही उपभोक्ता यहाँ लाभ जिसे मार्क्स 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत ' कह कर पूंजीवाद के खिलाफ 'मजदूरों एक हो ' का नारा देता है ,गांधी उत्पादन को उपभोक्ता और उत्पादक के बीच बगैर किसी लाभ और हानि के बितरित कर पूंजीवाद की मूल  जड़ को ही काट देता है .मजे की बात समाज के ताने बाने पर दोनों एक मत हैं .एक 'कम्यून' की बात करता है तो दूसरा 'गाँव स्वराज की ' कम्यून में और गाँव स्वराज में दो मूल भूत फर्क है .सत्ता और संपत्ति का विकेंन्द्रीकरण गाँव स्वराज की बुनियाद है तो साम्यवादी कम्यून में उत्पादन का लाभ सत्ता को और कम्यून पराधीन होगा केन्द्रीय व्यवस्था के .इसपर निहायत ही सटीक भाषा में डॉ लोहिया परिभाषित करते है -  'समाजवाद = साम्यवाद + युद्ध + ऋण आजादी . साम्यवाद में ' द्वन्दऔर  स्थाई भाव में रहेगा और आजादी लोप रहेगी .......जारी 

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