Sunday, August 26, 2012

इस मुसलमान का घर कहाँ है 
एक बार किसी अखबार ने मरहूम डॉ राही मासूम राजा से  पूछा था कि आपको इस बात से  डर नहीं लगता कि कोइ आपको पाकिस्तानी कहदे ? राही साहेब ने बहुत माकूल जवाब डिया था -  देश के प्रति वफादारी का सबूत तो हिंदुओं को देना चाहिए जिन्हें हर हाल में यहीं रहना था , हमारे सामने तो  'आप्सन' था . हम यहाँ रहते या पाकिस्तान चले जाते ,लेकिन हमने यहाँ रहना कबूल किया .हमारे बाप दादा यहा रहें , उनकी काबरे यहाँ है हम क्यों किसी और मुल्क में  जांय ? यह दमदारी राही साहब में रही .इतना ही नहीं अपने हक और हुकूक के लिए कभी भी चुप नहीं रहे.आपात काल का विरोध जिस मुखर तरीके से राही साहब ने किया ( सीन  ७५ ) शायद ही किसी  और लेखक ने किया हो .लेकिन वो अपने मुल्क जिसमे तमीज और तहजीब भी शुमार है को बे इन्तहां प्यार भी किया  .हिन्दू मुस्लिम एका उनके लेखन की जान है - 'आधा गाँव ' टोपी शुक्ला ' 'ओस की बूँद ' हिम्मत जौनपुरी ' ' कटरा बी आरजू '  नीम का पेड़ ' इसके उदाहरण हैं . आखीर में डॉ साहब एक अमूल्य निधि ' महाभारत ' की पट कथा लिख कर छोड़ गए जिसे कई पीढियां याद करेंगी .हम इस तरह के और इस जज्बात के बहुतो को जानते हैं जो सही मायने में इस्लाम में यकीन रखते है और भारतीय हैं .आज जरूरत है इस्लाम में यकीन रखने वाली समूची कौम इस जज्बे के साथ उठ खड़ी हो ,अपने को मुकम्मिल तौर पर सवारे , शिक्षा ,रोजगार ,तिजारत .में अपना दखल दर्ज कराये .यहाँ दो टूक बात कहना चाहता हूँकि दुनिया में भारत के अलावा दूसरा कोइ मुल्क नहीं है जो अपने आमजन जिसमे मुसलमान भी शामिल है को इतनी तरजीह देता हो .वरना एक अकेले ' बटवारे के फैसले ने ' मुसलमान को समूचे भारतीय उप महाद्वीप के मुसलमानों को बे घर कर के छोड़ दिया है .आज पाकिस्तान में ' पाकिस्तान बनानेवाले असल लोग ' मोहाजिर बोले जाते हैं और उन्हें भारत का एजेंट माना जाता है .बँगला देश में अपने हक और हुकूक की बात करनेवालों को 'बिहारी ' कह कर अलग कर दिया जाता है , भारत में लंबे अरसे तक कट्टर हिंदुओं की संस्था ने इन्हें पाकिस्तानी करार दिया अब भी जादा  कदा उसे दुहरा दिया जाता है ,लेकिन वोट के गणित ने उन्हें भी सिम्बल के तौर पर ही सही लेकिन अपने संगठन में लेना पड़ा .सैकडो साल तक इस मुल्क में हुकूमत करनेवाली कौम एक दरी हुई कौम बन कर किसका नुकशान करेगी ? इसका जवाब बहुत सीधा है अपनी कौम का और अपने  मुल्क का .
        बाबरी मस्जिद का विद्ध्वंस ,एम् एफ हुसैन का दर-बदर ,बाबर की औलाद  जफ़र की तौहीन किसीभी हिंदू को शर्मिन्दा करता रहेगा .अभी भी वक्त है 'अखंड भारत ' का नारा लगानेवालो अखंड भारत तो देखो ...

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