Monday, October 9, 2017

बतकही / चंचल

कहाँ तो तय था , चरागाँ  हर एक घर के लिए .
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
   सियासत बहुत दुरुस्त सलीका है , बशर्ते आप उसे ओढने बिछाने की तमीज जानते  हों .इतिहासिक तथ्यों  को सिलसिलेवार सामने रख कर देखा जाय तो देश में महज एक पार्टी है
जो मुल्क  की नब्ज पर हाथ रख कर फैसला करती है , वह है कांग्रेस .अगर आप अभी हाल में  में जवान हुए हैं तो आप को यह बात कम पचेगी .क्यों की आपकी भूख आप नही तय  कर पा रहे हैं
वह कहीं और से तय हो रहा है .आपको उत्तेजित करने वाला नारा चाहिए . छोटी सी झपकी के बाद आपको लाखों लाख रुपया चाहिए . आपको सुंदर पर कभी न पूरा होने वाला ख्वाब दिखा कर भूखा बनाया गया है . जब तक तुम उस से बाहर नही निकलो गे, कांग्रेस को हजम करने में तुम्हे दिक्कत होगी . कांग्रेस तुम्हे , तुम्हारे हाथ में फावड़ा देगी और कहेगी 'रचना ' में लग जाओ , कांग्रेस तुम्हे जाजिम देगी ,इस पर बैठ कर फैसला करो तुम खुद मुख्तार हो .समाज में जहां कहीं भी अन्याय दिखे उसका विरोध करो . डरो मत . तुम कमजोर नही हो
क्यों की तुम अहिंसा के साथ हो . ' न मारेंगे , न मानेगे ' यही तो है सिविल नाफ्र्नानी . बड़ी से बड़ी ताकत झुकी है इस सविनय अवज्ञा पर .कांग्रेस यह सात्विक सबक देगी .लेकिन वो क्या दे रहे हैं ? कभी सोचा है ? उत्तेजक और हिंसक नारे . बीस इकट्ठे हो जाओ तो हमला कर दो किसी भी निरीह पर .आरोप बहुत हैं कुछ भी लगा दो . मसलन यह मांस खाता है . देश द्रोही बोल दो . तुम्हे सिखाया जा रहा है - तुम हो बाकी सब तुम्हारे साथ हैं , जो असहमत हैं वे देश द्रोही हैं . वे तुम्हे यह कभी नही जानने देंगें की हिंसा की उम्र बहुत छोटी होती है . हिंसा की डगर काँटों से भरी होती है . खुबसूरत तो होगी ही नही . चलो अहिंसा को देखो , ध्रुव , प्रहलाद , बुद्ध , और गांधी .सब एक बात कहते हैं एक डगर दिखाते हैं . अप्प दीपो भव , अपना प्रकाश
खुद बनो . आजादी  की जंग कैसे लड़ी गयी , इसमें सिविल नाफ़रमानी का हथियार कैसे चला और जीता उसकी कुछ बानगी देखो / हम आपको ले चलते हैं . आपके पुरखों की जिन्दगी के पास . आँख बंद कर के आकृति बनाओ . आज से सौ साल पहले यानी १९१७ में एक अधनंगा फकीर ( बापू के लिए यह नाम ब्रिटेन के प्रधान मंत्री चर्चिल ने दिया था , ) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में आता है . और कांग्रेस का रुख बदल देता है . पहला आन्दोलन
  चम्पारण
----------
बिहार में एक जिला है चम्पारण . वहा के किसानो से अंग्रेज सरकार  नील की खेती जबरन कराती थी .जितनी जमीन है उसका तीसरा भाग नील की खेती के लिए आरक्षित रखा रहता था . ऐसा न करने पर किसानो को तरह तरह से प्रताड़ित किया जाता था . एक गरीब किसान राज कुमार शुक्ला गांधी जी से मिले और उन्हें चम्पारण चलने के लिए राजी कर लिए . गांधी जी चम्पारण  पहुच रहे हैं इसकी खबर उस इलाके में आगकी तरह फ़ैल गयी  और स्टेशन पर अपार भीड़ जुटी . अंग्रेज सरकार ने गांधी जी से कहा आप तुरत वापस जाइए . गांधी जी कहा - हम भारत के नागरिक हैं हमे कहीं भी घुमने की आजादी है . पुलिस ने गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया . यह खबर पुरे देश में फ़ैल गयी . नतीजा हुआ की बेतिया अदालत जहां गांधी को पेश होना था लाखों की भीड़ ने अदालत को घेर लिया . याद रखिये भारत की आजादी का यह ' टर्निंग प्वाइंट ' माना जाता है जब पहली बार गांधी जी अपना बचाव नही करते बल्कि अंग्रेजी कानून को ही चुनौती देते हैं तुम्हारा कानून ही गलत है . जज ने कहा - सौ रूपये के मुचलके पर रिहा किया जाता है . गांधी जी ने सौ रुपया भी देने से मना कर दिया विवस होकर जज को गांधी जी को छोड़ना पडा . इस तरह चम्पारण का किसान जीता ही नही उसके हाथ में एक निहायत ही खतनाक हथियार मिल गया जालिम से लड़ने के लिए , वह है - सिविल नाफरमानी / आगे चल कर इस सिविल नाफ़रमानी को इस तरह परिभाषित किया - जालिम का कहा , न मानना ही सिविल नाफरमानी है .यदा रखना यही है ' न मारेंगे , न मानेगे ' आज तक यह अहिंसक हथियार आपके पास है बाद बाकी आप जाने .

No comments:

Post a Comment