Saturday, October 28, 2017

वह खुद के खिलाफ क्यों है

अचानक वह अपने ही खिलाफ क्यों हो गया ?
कल प्रधानमंत्री मोदी पत्रकारों के साथ' दीवाली मिलन '(?) मनाने
पार्टी दफ्तर आये थे  । इंतजामात भी वही पुराने थे , मुखिया से पत्रकारों की दूरी भी उतनी ही थी । किसी ने पूछा - मिलन इसे ही कहते हैं ? दूसरा खुंदक में था - ये नए निजाम का मिलन है , मिलो नही तो बाहर का रास्ता देखो । प्रधानमंत्री ने शिक्षित किया - दल के अंदर जनतंत्र खत्म है उसे बहाल करना होगा । एक पत्रकार ने गर्दन नीचे कर के दोनो हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाई ।
ताली ने ताला खोना शुरू किया ।
जनाब ! आप  संघ के कार्यकर्ता ही नही रहे , उसके प्रचारक रहे हैं । संघ में जनतंत्र है ? संघ संवैधानिक रूप से पंजीकृत संस्था है ? संघ का कारोबार ,उसका दफ्तर कैसे चलता है , लेखम जोखा होता है क्या ? संघ मेसवाल पूछा जाता है ?
अचानक आप अपने ही खिलाफ क्यों हो गए ? आज आपके चेहरे की रंगत उड़ी उडी रही ।
गुजरात ने कुछ कह दिया है क्या ?

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