Monday, October 16, 2017

बतकही / चंचल
चल खुसरो घर आपनो
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  बेअदबी माफ़ हो , हम जौनपुर वाले निहायत गलीज समाज बनते जा रहे हैं .आंख बंद कर के सोचिये की आपकी सोच अपने तक ही महदूद है या अपने से हट कर भिक्छ सोचते हैं ?
अगर आप थोड़े से भी इमानदार हैं आप बे झिझक  यह मान लेंगे कि बात तो सही है . कल तक ऐसा नही था .आप लाख अपने कोअपनी खाल में घुसेड़ने कीकोशिश  करते लकिन नही कर
पाते क्यों की आपके रिहाइश  के  ठीक बगल  में एक सडक लेती हुयी है जिस पर लोग आवा जाहि करते रहते हैं ,लेकिन बाज दफे उस सडक का पारा गर्म होजाता रहा और उस
चलने वाले लोग जोर जोर से चीख चीखकर कह रहे हैं  - ' दम है  कितना दमन में तेरे देख लिया , फिर देखेंगे ' . दरवाजे को  कुण्डी चदाकर बंद कर भी लेंगे , खिड़की के पल्ले चढ़ा
  लंगे तब भीआवाज अंदर आयेगी  ही . क्यों की हर मकान में एक रोशनदान होता है , इंसान के अंदर के जमीर की तरह वह आपको आगाह करता ही रहेगा . बहर हाल बाहर सडक
की गर्मी घर में आयी , बीवी ने दरियाफ्त किया , बच्चोंका कुतुहल उठा , दीवान पर लुढके बाबा ने अंदाज लगा लिया और मुस्कुरा दिए .आपने बीवी को समझा दिया - सिरफिरे लोग हैं कुछ
काम काज है नही सरकार के खिलाफ नारे बाजी कर रहे हैं .बच्चों के कुतुहल  को आपने घुड़की दे दी .किताब में मन लगाओ . बाबा ज़िंदा है यह बताने के लिए उनका खांसना जरूरी होता जा
रहा है . बच्चो ! इधर हमारे पास आओ हम बताते हैं .बच्चे फदर फदर भाग कर बाबा इ बगल बैठ जाते हैं - गौर से समझ लो. यह नौजवानों का जुलुस था . भीड़ और जुलुस में फर्खोता है
, भीड़ जूनून लेकर बहकती है , जुलूस होश में अपने हक के लिए तनकर चला करता है .यह नौजवानों का जुलूस था .

- आपने इस अँधेरे से के

से देख लिया की यह नौजवानों का जुलूस था ?
- तुमने नहीं  सुना किवे क्या बोल रहेथे ? बोल रहे थे -तवा कढाई सस्ती हो , दवा पढाई मुफ़्ती हो .   रोजी रोटी दे न सके , वो सरकार निकम्मी है , जो सरकार निकम्मी है वो सरकार बदलनी है
यह नौजवान का ही नारा हो सकता है , वो अपने लिए नही सब की बेहतरी के लिए उठ खडा हुआ है .लेकिन इस जुलुस में वो हन्नू भाई थे अब तो बूढ़े हो चले हैं ?
- बच्चे ! नौजवान का नाप उम्र से नही होता ,जज्बे से होता है नौजवान होने के लिए तीन शर्तें हैं जो इन्हें पूरा करे वो नौजवान है .एक - जो भविष्य के बारे में रंगीन सपना देखे ,
 दो - परमार्थवादी दृष्टि कोण हो और तीन - जोखिम उठाने की क्षमता हो .
- और ये जो नौजवान लोग सरस्वती शिशु में रोज शाखा लगाते हैं ?
-ये विधर्मी हैं , नौजवान कत्तई  नही हैं .ये भविष्य की बात ही नही करते , अतीत के अलावा इनके पास कुछ भी तो नही है . यह संवैधानिक संगठन भी नही है .इसका पंजीकरण
नही हुआ है .नका लेनदेन गुप्त रखा जाता है . इस गिरोह में महिलायें वर्जित हैं ये नौजवान नही हो सकते .
- तो जौनपुर का सबसे तेज तर्रार नौजवान कोइ है ?
- बहुत हैं , ओम प्रकाश श्रीवास्तव . हनुमान सिंह . हनीफ भाई . राजेश सिंह दया सागर राय . सुरेन्द्र त्रिपाठी , लेकिन दिक्कत क्या है की ये अभी बैठे मुद्दे की तलाश में हैं और
 मुद्दा लबे सडक पडा छटपटा रहा है .
- हमे स्कूल में बताया गया है की सरकार की आलोचना करना जुर्म है .
- तो उसने यह बताया होगा , जो इस तरह की बात करते हैं वे या तो जालिम होते हैं या जाहिल .
- फ्रांस का सबसे क्रूर तानाशाह हुआ है  द गाल . सरकारी कारकूनो ने ड गाल से शिकायत किया की जाँ पाल सार्त्र आपके खिलाफ लिखते बोलते हैं उसे देश निकाला दे दिया जाय
- द गाल ने जवाब दिया था - लोग फ्रांस को डगाल की वजह से जानते हैं .
- बाबा ! हम भी जुलुस में जाँय. ?
- इसका फैसला तुम्हे करना है .
- पापा मना करेंगे ?
- प्रहलाद के पापा ने भी तो मना किया था . ध्रुव , प्रहलाद आज भी जुलुस में साथ साथ चलते हैं . इन्ही लोंगो का दिया हुआ हथियार है सिविल नाफरमानी .गांधी जी ने सारी दुनिया
को दे दिया .
दोनों बच्चे दरवाजा खोल कर बाहर निकल गये . बाप मुस्कुरा रहा है .
आपको याद है जौनपुर कब बूढा  हुआ ?

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