Monday, August 7, 2017

चिखुरी चिचियाने / चंचल
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९ अगस्त महज एक तारीख नही है .
     
         अगरचे यही रहा तो कुछ दिन में चिखुरी ' काठे मार ' दिए जायंगे . पागल होने में अब कोइ कोर कसर नही है .  नवल उपधिया की पुरानी आदत है , कोइ भी बात बताने के लिए
कमबख्त  ढेढ़ हाथ की भूमिका लगाएगा . आँख बंद कर के खैनी मलेगा .तब तक लोग उब चुके होते हैं और उत्सुकता बढ़ चुकी होती है .कयूम मिया ने पूछ् पकड़ा - हुआ का , अभी कल तक तो भले चंगे थे अचानक पगला कैसे गये ? अभी आ रहे हैं  देखना . आज सुभ से ही हर एक से सवाल पूछ रहे हैं - नौ अगस्त के बारे में बताओ . अब भला  कोइ क्या बताये की नौ अगस्त
का है ? लखन कहार ने इशारा किया वो देखो चिखुरी काका भी आ गये . लोग चौंके . आज तो चिखुरी का पूरा हुलिया ही बदला हुआ है . खादी का कुर्ता .जवाहिर जैकेट , टोपी , खादी की
बी कायदे धुली हुयीधोती पैर में चट्टी और हाथ में तिरंगा लिए चले आ रहे हैं .पीछे पीछे जमा पूँजी चार लड़के कांग्रेस जिंदाबाद , महात्मा गान्ही अमर रहें . 'कुट्ट इंडिया जिन्नावाद . हर जोर जुर्म के टक्कर में ....... /  चौराहा सावधान . दुकानदार गाहक छोड़ कर सडक पर . जनता एक दुसरे की आँख में आँख दाल कर पूछ रही है , - माजरा क्या है ? लेकिन जब किसी को मालुम हो तब बताये न की माजरा क्या है . लाल साहेब ने उमर दरजी से पूछा - आज पन्द्रह अगस्त है का ? हमरे समझ से तो ना है .आहे से की कल सात रहा रछा बंधन वास्ते एक दिन बीच में आवा तदौड़ के पन्द्रह कैसे होय जाई . कीन उपधिया आजकल ज्यादा बोलने लगा है ,उसकी सरकार है वह नही बोलेगा तो कौन बोलेगा . किन  की दूकान बंद है दुसरी दूकान चालु है . हैण्ड पम्प चाहिए ? करताहूँ कुछ और इस कुछ से ही कीन कीदुकान चल रही है . लेखी होंगी प्रवक्ता दिल्ली की , यहाँ तो सरकार को उबार रहे हैं कीन उपधिया ही . चिखुरी से कीन की कत्तई नही जमती , पर का करे अक्खा समाज चिखुरी के साथ . आज कीन को मौक़ा मिल गया है - चिखुरी को देखो भाई ! आज य पन्द्रह अगस्त मनाय ले रहे हैं . कुछ और भी बोलते पर इतने में चिखुरी का जुलुस लाल्साहेब की चाय की दूकान तक आ पहुंचा . लड़के नारा लगाए जारहे हैं , कुछ हो हल्ला , कुछ भीड़ भड़क्का देख कर और भी लोग आ पहुंचे बच्चे तो कुछ ज्याडा ही .
नारा दुगुनी गति से उपर उठ गया . चिखुरी लाल साह्ब्की दूकान के अंदर चौकी पर जा बैठे , जहां हर रोज बैठते रहे हैं. बात उठाया मद्दु पत्रकार ने - आज से ही पंद्रह अगस्त मन्ने लगा काका ? चिखुरी ने तरेर कर देखा - पत्रकार हो न ? बड़ा गर्क हुआ केवल राजनीति से ही नही . तुम लोंगों की कम अकली ने बहुत जल्दी डुबोया है समाज को . नौ अगस्त भी नही जानते ? जब तुम्हारे जैसे पत्रकार इतने पर खड़े रहेंगे तो इनका क्या होगा जो सामने बैठे हैं लखन कहार , उमर दरजी , नवल उपधिया , लाल साहेब सिंह वगैरह .मद्दु ने अपनी असमर्थता जाहिर की - वाकई हम नही जानते दादा . हममे से कोइ जानता है भाई ? एक मस्ट आवाज आयी - कोइ नही  जानता , बताया जाय . नवल ने प्रस्ताव रखा - ऐसे नही , दादा के लिए चौकी बाहर निकाली जाय . झंडा है ही एक भाषण हो जाय . ससुरे चुनाव न आये तो भाषण भी न सुनायी पड़े . नवल ने नारा लोकाया , बच्चों ने बीच में ही लोक लिया . कीन उपधिया जानते हैं किचिखुरी पुरानेज्माने के सुराजी हैं कांग्रेस की तारीफ़ करेंगे .पर डर की वजह से चुप ही रहे .
           पूरा चौराहा भर गया . घास की तलाश में निकला महिलाओं का झुण्ड भी एक किनारे खडा हो गया . मंझारी से बगैर बोले नही रहा जाता , लम्मरदार से बोली - हे देवर ! हिया कुछ बटी का ? लम्मर दार ने गौर से मंझारी को देखा और बोले _ हुंडी बटी , चाहि का ? मंझारी के लिए हुंडी नई बात थी वह चौंकी _ हुंडी ? कैसा होला ई ? लम्मार्दार ने इशारे से बगैर कुछ बोले , बोल गये . महिलाओं की और से खिलखिलाहट हुयी , कई मनचले जो मौक्ये वारदात पर थे जोर से हंस दिए और सारी भीड़ इधर देखने लगी . लम्मार्दार ने हांका मारा - बोला जाय पब्लिक व्याकुल होय रही बाय , अब चिखुरी मंच में चढ़े .तालिया बजी . और भाषण शुरू
        ' हम कोइ नेता ना हैं , आम आदमी हैं , और उसी आदमी के बारे में बोल रहा हूँ . बुरा मत मनाइएगा हम मरे हुए समाज को दफनाने की जुगत में हैं . जो समाज अपने इतिहास से वाकिफ नही होता , उसका वर्तमान लम्पटों , आढतियों और टेनीमार व्यापारियों के हाथ में खेलता है और उस समाज का भविष्य गर्त में जाता है . आज हम उसी मुकाम्पर खड़े हैं
आज नौ अगस्त है हमारे इतिहास का एक सुनहरा पन्ना आज के ही दिन लिखा गया है , पर दुर्भाग्य देखिये इस मुल्क को विशेष कर नई पीढ़ी को यह तारीख भी नही मालुम है .
आज से ठीक पचहत्तर साल पहले सुराज की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी का बम्बई में जलसा था . उस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने बर्तानिया सरकार को चुनौती दी और नारा दिया -
 अंग्रेजो भारत छोडो , क्विटइंडिया . डू आर डाई / करो या मरो . यह है नौ अगस्त बयालीस का आन्दोलन . आधे घंटे के अंदर समूची कांग्रेस गिरफ्तार कर ली गयी . कुल डेढ़ लाख लोग एक घंटे के अंदर जेल भेज दिए गये .अब जनता ने आन्दोलन अपने हाथ में ले लिया इसका नेतृत्व चला गया समाजवादियो के हाथ डॉ लोहिया , अचुत पटवर्धन , जी जी  पारीख वगैरह .लेकिन सबसे ज्यादा बढ़ चढ कर महिलाओं ने आन्दोलन को चलाया आज जिसे आजाद मैदान बोलते हैं वहाँ देश की एक क्रांतिकारी लड़की ने कांग्रेस का झंडा फहरा कर दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य को चुनौती दी , उनका नाम है अरुणा आसफ अली . गुप्त रेडियो का संचालन किया है उषा मेहता ने . आजादी की उस लड़ाई में अंग्रेजों का साथ देनेवालों में जिन्ना की मुस्लिम लीग थी , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ था और कम्यनिस्ट पार्टी थी . ये सब अंग्रेज के साथ थे . कांग्रेस अकेले लड रही थी , उस अंग्रेजी साम्राज्य से जिसके हुकुमत में सूरज नही डूबता था .
तालियाँ बज रही है , नम आँख में चिखुरी सुराजी बच्चों को निहार रहे हैं .
नवल गाते हुए रवाना हुए - झंडा उंचा रहे हमारा 

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