Monday, August 14, 2017

चिखुरी चिचियाने /चंचल
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बीमार सियासत का चुहुलबाज मुल्क
   अड्डे केवल शहर में ही नही होते , कलकत्ते से चला यह अड्डेबाजी का चलन अब गाँव तक जा पहुंचा है और एक नशा की तरह पुरे समाज में तारी है . कल हमने बताया था की अड्डेबाजी को सरकार ने भरपूर  बढ़ावा दिया . सरकार ने मुलायम पग्दंद्दी को तोड़ कर गड्ढे वाली सडक दिया और माटी की दिया हटा कर बल्व लटकवा दिया ,गाँव सडक पर आ गया और घर घर में
टीवी आ गया / नेता जी मुस्कुराए - कमबख्त विकास देखो , मसायल मत उठाओ . भाड में गयी गरीबी , बेरोजगारी , गैर बराबरी .तुमे हंसने के लिए डिब्बा दे रहा हूँ , उलझो उन कहानियों में जो डिब्बा दिखाएगा . बिजली गायब रहे तो चौराहे पर जाओ देश के नाम सन्देश जारी करो , अमरीका रूस पर ब्यान दो कोइ न मिले तो पाकिस्तान तो है ही . तुम्हारे दिल को बहलाने के लिए पाकिस्तान गरीब की लुगाई की तरह है . लाल साहेब की बेंच पर बैठ कर तीन मिनट में छह बार पाकिस्तान की माँ बहन  करोगे . जब छोटका तुम्हारी माँ  बहन करते हुए दूकान की तरफ बढ़ेगी और भैस के भागने की खबर देगी तो चौराहे की बहादुरी भाग के छोटका के फुकती में घुस जाती है . हर रोज चौराहे पर यह होता है . चिखुरी ने चुटकी ली _ नवल ! पाकिस्तान को मारो गोली , कभी चीन को भी तो कुछ बोलो . पुरी दूकान में सन्नाटा पसर गया .करिअवा कुकुर जो भीड़ की आवाज में सोने का आदी हो चुका है , सन्नाटा पसरते ही कुनमुना कर मूड
उठाया . मौक़ा मुआयना किया और फिर सो गया . कयूम मिया ने टुकडा जोड़ा - चीन पर जब सरकार सनाटा खा जाती है तो नवल उपधिया किस दम पर बोले. अशोक अंडावाले बीडी सुलगा कर सामने आये - ये भाई ! देखते देखते राजनीति ही उल्ट गयी . क्ल्संस्द में बहस होती थी सरकार को जवाब देना होता था . अब न सवाल है , न जवाब .बस पैसा चाहिए . उमर दरजी जनम का मुरहा है बेबात कुबात ही बोलता है - का गलत है भाई , राजा राज कर रहा है प्रजा ऐश कर रही है कोइ समस्या है इस देश में ? ना है न .बस ऐश करो . मद्दु ने करवट बदला गौर से सब को निहारा और शुरू हो गये -
         
    ' हस्बे जेल अर्ज कर दूँ कि हम ऐसे मुल्क की नब्ज पर हाथ रखने जा रहे हैं जिसे पहली नजर में आप खारिज कर देंगे , क्यों की आप  उस  समाज के नुमाइंदे हैं जो गंदगी को देख कर
डगर बदल कर आगे बढ़ जाते हैं या उस पर गमकती रुमाल रख कर ढँक देंते हैं लेकिन गंदगी को साफ़ नही करते .मसलन आजका भारत देखिये हर तरफ झूठ फरेब का ऐसा जाल  फैला दिया गया है की हर इंसान तकरीबन उस झूठ  के सहारे हम हर सवाल का हल ढूंढने लगा है . ' आज मद्दु पत्रकार कुछ ज्यादा ही संजीदा दिखे और जो बात उन्होंने बोला उसके बारे में नवल उपधिया का कहना है की आप जो बोल रहे हैं एंटिना में नही फंस रहा है . मद्दु उखड़ गये - सुनो ! एक बात बताओ १४ में संसद का चुनाव हुआ किस मुद्दे पर ? भूल गये होगे , हम बता रहे हैं .  बड़ी चालाकी से , समाज के हर हिस्से के लिए अलग अलग सवाल दिए गये थे . एक - आम आदमी के लिए , महगाई .इसका हल - हर खाते में मुफ्त का पैसा सरकार दाल देगी  . पढ़े लिखे डपोर लोंगो के लिए भ्रष्ट्राचार . नौजवानों के लिए काला धन वापस होगा . नतीजा .संसद में वजीरे तिजारत जनाब अरुण जेटली जवाब देते हुए कहा वो तो चुनाव के बोला गया जूमला था . कमाल है देश का नेता जनता में जूमला बोल कर वोट माँगा है मुकर जाता है क्यों ? है किसी के पास जवाब ? क्यों नही उठता संसद में सवाल ? अब चिखुरी की बारी थी -
संसद की हालत देखो , कौन बैठा है आज संसद में ? सरकारी आंकडा है पिच्चासी फीसद संसद सदस्य  करोड़ पति है . साथ फीसद लोगों पर अपराधिक मामले हैं ,  बलात्कार . चोरी . चम्चोरी , लूट दंगा . कौन बैठा है देश की सबसे बड़ी पंचायत में . ?   जहां  कभी पंडित नेहरु बैठते थे , लाल बहादुर शास्त्री , डॉ  लोहिया , कृपलानी , ज्योतिर्मय बासु , सवाल उठते थे आम आदमी के . जनता संसद को अपना मानती थी .उसी संसद में गाजी पुर के विश्व नाथ गहमरी का गरीबी पर भाषण है पंडित नेहरु की आँख भर आयी थी . उसी संसद में डॉ लोहिया ने चुनौती दी थी पंडित नेहरु की सरकार को . संसद की पुस्तकालय में आज भी वह बहस मील का पत्थर बन कर . तीन आने बनाम तेरह आने . लेकिन दोषी संसद सदस्य नही है . गलती उनकी है जिन्होंने ऐसे लोंगों को चुन कर संसद पहुचाया .
लखन कहार का सवाल टेढा है -अब क्या करें ?
कुछ ख़ास नही , बस अपने चुने हुए प्रतिनिधि से पूछिये -संसद में . विधान सभा में आपने जो काम किया है उसे जनता को बताओ .
नवल मुस्कुराए . साइकिल उठाये . घंटी बजाए . पैदल चले . कयूम ने पूछा - का बात है बेटा - पैदल ? नवल मुस्कुराए - साइकिल क कुत्ता फेल .
नवल गाते हुए जा रहे हैं - मिर्जापुर कैल गुलजार हो कचौड़ी गली सुन कैल बलमा       

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