Thursday, August 27, 2015

चिखुरी / चंचल
दाना न पानी , खरहरा दूनौ जून ?
---------------------------------------------------------
.... ' पानी बरसे दरभंगा में , छाता खुले दुबई में ? इ सब कसा होय रहा है , न हम्मे मालुम है न उसको जो हररोज नया फरमान जारी किये जाय  रहा बा .किसमे दम है कि कह  दे कि राजा ढांक लो , नीचे नंगे हो . आपन घर फूंक के , दूसरे क दालान बनाय  रहा है ? पंडा बिहार में , मंदिर बनी दुबई में ? कहो फलाने जे सुनी ऊ का कही ? नवल उपधिया बौखलाए हैं . एक साथ , एक सांस में कई सवाल दाग दिये . यह देश की संसद थोड़े ही है कि एक साथ कई सवाल पूछना वर्जित है और अगर पूछ दिये तो संसद से बाहर . उनका निजाम कहता है कि कुछ लोग अधिक को हलाकान नहीं कर सकते . लेकिन यह तो गाँव की संसद है . जित्ता चाहो सवाल उठाओ तरतीब हो कि न हो , कुछ भी बोलो कितना भी भदेस बोलो कोइ रोक नहीं . कीन उपाधिया समझ गए कि नवल जो भी कह रहा है वह कीन के खिलाफ या फिर कीन की पार्टी के खिलाफ ही बोलेगा यह उसकी हिस्ट्री है . उसे पता नहीं क्यों ' दिया ' से नफ़रत है . चुनांचे कीन ने नवल को रोका - इ पंडा बिहार में ही होते हैं काशी मथुरा में नहीं ? नवल कुछ सोच समझ के बोला करो . नवल ने आँख गोल करके कीन को देखा , मुह खोले नहीं लेकिन उसे भरपूर ढंग से कान की तरफ ले गए जितना ले जा सकते थे . नवल के इस हरकत से कीन को दिक्कत होती है ,उन्हें लगता है कि यह उन्हें चिढ़ाने के लिए किया जा रहा है ,क्यों कि कीन के मुह का आकार प्रकार कुछ इसी तरह का है .बीच में कयूम मियाँ आ गए - अकल के गरीबो ! रुख ताल देख कर बोला करो , जैसे देश का नेता बोलता है . बोले जा रहा है . नवल ने फिर टोंका - कहाँ बोले जा रहा है , संसद में तो कुछ नहीं बोला . कयूम मुस्कुराए - बरखुरदार यह भी नहीं जानते बोलने कि एक तरकीब होती है और यह तरकीब देश काल और परिस्थिति पर निर्भर करती है . अब मेढक औए झींगुर को देखो बज्र गर्मी में कभी इन्हें बोलते सुने हो या सर्दी के समय मोर की आवाज को सुनते हो ? नहीं न ? तो ऐसा ही समझ लो . जो बात दिल्ली में बोली जाती है वही बिहार में नहीं . संसद में केवल बोला ही नहीं जाता सुनना भी पड़ता है ,और हमारे नेता को सुनने की आदत नहीं है बस .दूसरी बात याद रखो कब कहाँ क्या बोलना है उसे समझा करो . पिछले चुनाव में इसी बिहार में तुम्हारे नेता ने नया इतिहास नए तरह से बोला . जनता जनार्दन ने ताली पीटा . जनता भदेस बात पर ताली पीटी या खुश होकर कि चलो अब अब तक्षशिला जो बटवारे में पाकिस्तान में ही फंसा रह गया था , अब नालंदा तो आ गया . जनता को कौन भांप पाया ? केवल 'बक्सा ' ने उसे दिखाया और बताया कि जनता हर बात पर ताली पीट कर स्वागत करती रही . देश ने डिब्बे की बात तो मान ली लेकिन भीड़ में हरखू झा की आवाज दबी ही रह गयी जब उन्हों ने कहा हुजूर तक्षशिला बिहार में नहीं है पाकिस्तान में है . हरखू जी की आवाज को डिब्बे ने नहीं सुना . क्यों कि हरखू के पास न तो दो करोड़ का मंच था , नही आठ करोड़ की लागत से प्रायोजित जलसा के लिए रकम थी . आया समझ में . नयी बात सुन लो बिहार में ठीक चुनाव के एन मौके पर्कहा जा रहा है कि बिहार को कई लाख करोड़ का पैकेट दिया जायगा . अब गणित देखो लिखा है ४०,००० करोड़ +१.२५ करोड़ = १६५००० करोड़ . यह नया गणित है . अब लगाते रहो कि कितने शिफर आते हैं इतनी रकम में ? उत्तर देगा वजीरे खारिजा जेटली कि सरकार ने थोड़े ही कहा कि इतनी रकम बिहार को जायगी वह तो चुनाव की बात थी . दूसरा रफूगर बोलेगा यह तो जुमला था . इसे कहते हैं आज की राजनीति . और यही राजनीति जनता को पसंद है तो हम का करें ? चिखुरी जो जो अब तक इस बात को चुपचाप सुनते रहे बीच में आ गए - सुनो जनता पर आरोप मत लगाओ . वह झांसे में आ गयी लेकिन कितनी बार आयेगी . अब वह वह अपने हक और हुकूक को सामने रख कर नेता को तौलेगी . वह भी बौखलाई हुयी है . सब को देख चुकी , हर फरेब से रु ब रु हो चुकी है . दो परस्पर बिरोधी बातें मत करो . एक तरफ तो सरकार कहती है , हमे खाली खजाना मिला है और दूसरी तरफ खैरात बंट रही है . तो जो लाखों करोड़ बाँट रहे हो अपनी जेब से देबांत रहे हो ? सही बात तो बोलना ही पड़ेगा . यह संसद नहीं है बिहार है और बिहार ठोंक बजा कर चलेगा . नया जुमला फेंक रहे हो दुबई में मंदिर बनेगा . अपने यहाँ मस्जिद गिरा कर उनके आँगन में मंदिर बनाओगे ? तुम्हारी अंतर्राष्ट्रीय समझ कितनी है यह यह सारी दुनिया देख ही नहीं है , हमे तनहा भी करती जा रही है आज अमरीका , रूस , जापान फ्रांस कोइ तो होगा जो हमारे साथ होगा . आज एक भी मुल्क अपने साथ नहीं है . दस लाख का परिधान पहन कर ओबामा ओबामा करते रह गए यह भी भूल गए कि एक ऐसा भी महात्मा था जो एक धोती पहन कर बर्तानिया निजाम को बदलवा दिया और अपने ही भारतीय लिबास में पूरे अंग्रेज कौम का पसंदीदा मेहमान बन गया . .एक बात गौर से सुन लो इस मुल्क को अगर कोइ बना सकता है तो वह गांधी ही है दूसरा नहीं . उमर दरजी ने पूछा -लेकिन बिहार में कांग्रेस ....? चिखुरी मुस्कुराए - कम्युनिस्ट और संघ को छोड़ कर बाद बाकी जितने भी हिंदी पट्टी में हैं सब गांधी की ही औलादे हैं . इस बार बिहार में गांधी ही लड़ेगा . रूप कुछ भी हो . चम्पारण फिर इतिहास लिखने जा रहा है . लड़ाई हिटलर और गांधी के बीच है . हिटलर की झूठ , उसकी चमक दमक , रथ और विमान सब द्वस्त होगा जब बिहार उठ खड़ा होगा . नवल आज बगैर किसी गाने को उठाये किसी विचार में मग्न होकर चलते बने .

No comments:

Post a Comment