Thursday, August 27, 2015

आज भाई ब्रज खंडेलवाल फंसा दिया . अपनी पोस्ट में ब्रज भाई लिखते हैं कि भारतीय समाज की आदर्श  स्त्री सीता नहीं द्रौपदी है . यह कथन है डॉ लोहिया का . इस कथन पर घोचुओं , कम अक्ल पोंगापंथियों की त्योरी चढ़ जायगी और लगेंगे पोंगा काटने .मजे की बात इस कथन को विस्तार देने की जिम्मेवारी ब्रज भाई ने हमारी तरफ बढ़ा दिया .फेस बुक के मित्रों और वैचारिक विरोधियों को यह भी मालुम है कि हमारा नाम देखते ही गिरोही लगता है उछल कूद करने . फिर भी जोखिम तो लेना ही पड़ेगा , अब तो आदी हो चुका हूँ .चलिए शुरुआत करते हैं भारतीय जन मन से . उसके मनोविज्ञान से . हर समाज दो खाने में बंटा है . हीन भावना , कुंठित सोच , और परावलम्बी चेतना में जीनेवाला समाज एक तरफ है ,जो जालिमाना हरकत को सहन कर जालिम को जुल्म करने का मौक़ा देता चलता है .दूसरा हिस्सा है जो जुल्म के खिलाफ आवाज उठाता है , जालिमाने सोच को चुनौटी देता है और अपने हक और हुकूक के खातिर जंग का ऐलान करता है . सीता के प्रचलित जीवनी को देखा जाय तो उस पर जम कर अन्याय हुए हैं मिथक कथा के अनुसार सीता की मृत्यु तो और भी भयानक सवाल छोड़ जाती है जब एक धोबी सीता पर इल्जाम लगाता है . और सीता को अग्नि परिक्षा देने को विवस किया जाता है . इसके बरक्स द्रौपदी आती है . ध्रितराष्ट्र सुतों ने द्रौपदी के पिता को अपमानित किया , द्रौपदी उसका बदला लेने  और कौरव को समूल नष्ट करने की प्रतिज्ञा करती है . समूचे महा भारत को सलीके से पढ़ा जाय जो इस कथा की नायिका द्रौपदी है और नायक कृष्ण है .दोनों में सखा सखी का सम्बन्ध है . द्रौपदी कृष्ण से प्यार करती है . जब वह कृष्ण को शादी के लिए कहती है तो कृष्ण ने द्रौपदी को समझाया है - अगर तुम हमसे शादी करोगी तो तुम अपने पिता के अपमान का बदला नहीं ले पाओगी तुम पांडू पुत्र से शादी रचाओ . हस्तिनापुर राज्य के उत्तराधिकार का प्रश्न सामने आ रहा है . कौरव और पान्दुपुत्र आमने सामने होंगें . द्रौपदी खुल कर अपने प्यार का इजहार करती है . द्रौपदी का आदर्श रूप युद्ध के दौरान दिखाई देखा देता है जिसपर डॉ लोहिया ने विस्तार से लिखा है . कौरव और पाण्डु पुत्रों के पूज्य भीष्म पितामह मृत्युशैया पर हैं . दिन भर युद्ध लड़ने के बाद सांझ को दोनों भीष्म पितामह के सामने आते हैं और भीष्म उन्हें नीति की शिक्षा देते हैं . एक सांझ भीष्म नीति पर बोल रहे थे . कि अचानक द्रौपदी हंस पडी . ठहाका लगा कर हंसी थी . पूरा कुल सदमे में . अर्जुन गुस्से में द्रौपदी की तरफ दौड़े . हस्तिनापुर का कुल गौरव मौत को वरण कर रहा है और तुम हंस रही हो ? कृष्ण बीच में आ गए . अर्जुन को रोका . बोले - अर्जुन पहले यह तो जान लो कि द्रौपदी क्यों हंसी ? फिर द्रौपदी ने भीष्म से सवाल पूछा है . पितामह ! आप और आपकी नीति कहाँ थी जब हस्तिनापुर राज्य के असल राजा पांडू पुत्र को उनके राज्याधिकार से वंचित किया गया . पाण्डु पुत्रों को लाक्षा गृह में जलाने की योजना बनी . ? भरी सभा में आपकी उपस्थिति में चीर हरण किया गया ? ..... बहुत सारे सवाल उठाये हैं द्रौपदी ने . भारतीय समाज में एक औरत अपने हक और हुकूक की बात करती है . तन कर खड़ी होती है . भीष्म ने जो उत्तर दिया है वह आज भी सम सामयिक है . याद रखिये सवाल द्रौपदी का है . भारत की आदर्श नारी का है , जिसका उत्तर भीष्म दे रहे है - बेटी हम 'अन्न दोष 'से ग्रषित रहे .अब आपे सब तय करोकिस तरह की नारी चाहिए इस्पुरुष प्रधान समाज को .?

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