Thursday, August 27, 2015

बतकही / चंचल
... कुछो कहो हम  रहेंगे उत्तर प्रदेश ही .
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  '... ऊपरवाला झूठ न बुलवाए, बात खरी कहता हूँ , किसी को हजम हो या दौड़ा के पोंगा काट ले लेकिन जे बात सही है कि उत्तर प्रदेश में एक साफ़ सुथरा मुख्यमंत्री है अखिलेश यादव . ... कयूम मियाँ अभी शुरू ही हुए थे कि अखिलेश का नाम सुनते ही पुराने संघी जूते सिंह हत्थे से उखड गए . ( भला कोइ लायक बाप या दयावती दादी अपने बच्चे का नाम जूते रखेगी ? कत्तई नहीं असल नाम  है -तेज बहादूर सिंह , पहला घपला उनकी अपनी दादी ने किया कि नाम को काट कर छोटा कर दिया तेज बहादुर से तेजू हो गए . यह तेजू जब शाखा जाने लगे और बाप की दी हुयी फुल पैंट को काट कर हाफ किये तो गाँव के हमजोलियों ने नाम को ही उलट दिया और वह चल गया .जूते सिंह . )क्या ख़ाक ईमानदार है ? एक जाति के लोग मंत्री से लेकर सिपाही तक बैठा दिये गए हैं ... लाल साहेब ने जूते सिंह को घुडकी दी - ओम प्रकाश सिंह , राजा भईया, गोप .. सब अहीर हैं ? सूबे में जब खुल्लम खुला जाति की राजनीति शुरू हुयी और कांशी राम ने हरिजनों को इकट्ठा कर के एक नेता  मायावती दे दिया  तो बाकी जातियों में भी अपने नेता की तलाश शुरू हो गयी . मुलायम सिंह समाजवादी थे और रहेंगे वे जातिवादी नहीं हैं लेकिन उनकी बिरादरी ने खुल कर उनकी मदद करनी शुरू कर दी तो इसमें मुलायम सिंह का का दोख ? इतने हल्के में मत भागा करो . आज  मुलायम का इतिहास देखोगे तो खोपड़ी झन्ना जायगी . वहाँ जनेश्वर मिश्रा हैं , हनुमान सिंह है , ब्रजभूषण तिवारी हैं आजम खां हैं शिव कुमार बेरिया हैं .मामला संजीदा होत देख कयूम मियाँ ने लाल साहेब को अपनी बुजुर्गी से रोका - बरखुरदार ! ये जो तेज बहादुर सिंह वगैरह हैं ,ये अफवाह में जीते हैं . नफरत फैलाते हैं शुक्र है मियाँ कि हम सब गाँव में हैं वरना अगर हम शहर में होते और तेज बहादुर को जूते बोल देते तोदंगा हो जाता लेकिन यहाँ सब चलता है क्यों बेटा तेज बहादुर ? तेज बहादुर जब अपना नाम सही ढंग से सुनते हैं तो उनका सीना छप्पन इंच का हो जाता है गरज यह कि पूरा गाँव उन्हें जूते ही बोलता है यहाँ तक कि उमर दरजी भी . बेचारे खिसिया के रह जाते हैं लेकिन कुछ बोलते नहीं .कारण बस एक है - जन्म क मुरहा है , गुरभाई है .दर्जा आठ तक साथ में पढ़ा है . का करें ? तेज बहादुर ने कयूम मियाँ को उकसाया - हाँ चचा आप सरकार केव बारे में बता रहे थे . देखो बरखुरदार ! जब हम किसी सरकार को नापते हैं हैं तो सबसे पहले यह देख लो कि नापनेवाला कौन है ? आज के जमाने अगर तुम चाहो कि सूबे या मुल्क की गद्दियों पर पंडित नेहरु , डॉ संपूर्णानंद , लाल बहादुर शास्त्री , पंडित कमलापति त्रिपाठी , कर्पूरी ठाकुर जैसे तपे तपाये लोग दिखाई पड़ेंगे तो भ्रम में हो . लाल बहादुर शास्त्री देश के गृहमंत्री थे , मुला खुद उनके पास घर नहीं था . राज नारायण जब संसद में नहीं थे और रेल यात्रा करते थे तो टी टी  से ही चन्दा मांग कर टिकट बनवाते थे . जनेश्वर मिश्रा बार बार मंत्री बने लेकिन उनका दरवाजा सब के लिए खुला रहता था . जार्ज के घर पर गेट ही नहीं था उन्होंने खुद उसे निकलवा दिया था . कहाँ मिलेंगे ऐसे लोग . लेकिन अभी भी उनके लोग हैं . अभी इसी सरकार में देख कर लौटा हूँ . जा कर देख आओ . राजेन्द्र चौधरी , राम गोविन्द चौधरी . ओम प्रकाशसिंह . इनकी सादगी और इमानदारी पर कभी उंगली नहीं उठी . एवज में और सूबों को देख आओ . कितनी बेशर्मी से सरकार चला रहे हैं ये चाल चरित्र और चेहरे की दुहाई देते हैं. शवराज को देखो .घपला घोटाला कैसे होता है उससे सीखो . कई लाख सौ करोड़ का घपला ही नहीं हुआ डाक्टरी और इन्जीय्न्रिंग पेशे तक को बधिया कर दिया है . गुनाह छिपाने के लिए पच्चासों लोगों का क़त्ल हुआ है . गवाह मुह न खोल पाए उसे क़त्ल कर दो यह नयी चाल है . अनाप सनाप बोलनेवालों को संसद में बिठा दिया गया . कोइ साधू है कोइ सधुआइन हैं लेकिन भाषा ? कसाई भी शर्मा जाय . ये भाई ! सब जगह घपला है बोलते बोलते कयूम मियाँ हाफाने लगे . नवल बीच में आ गए . -
  -... लेकिन अब तो संसद ही जाम है . ?
महंथ दुबे कश्मसाए और उठ कर बैठ गए . -एक तरफ भ्रष्टाचार का खुला आरोप लगा पड़ा है . एक साहेब चार देवियाँ घेरे में हैं . सरकार के पास कोइ जवाब नहीं है कांग्रस को सडन से बाहर कर दियाजाता ही कहते हो साकार नहीचालने दे रहे कांग्रेस के लोग ? इनसे कोइ पूछे कि क्या कांग्रेस वहा साफ़ सफाई के लिए गयी है ? उस्काकाम है सवाल पूछना . और वह सवाल देश का सवाल है क्यों नहीं पूछेगी कांग्रेस ? दुबे जी को बीच में रुकना पड़ा क्यों कि लंगूर की शक्ल में सज धज कर तेज बहादुर सिंह का मझिला लडिका बोल बम् की यात्रा पर निकलने के लिए बाप से खर्च मांगने आकर खड़ा हो गया -ये बाऊ ! एक हजार ..
- का करबे एक हजार बे ?
- दोस्तन के बीयर पार्टी माने अही .
-तेज बहादुर सिंह का चेहरा देखने काबिल था .भीड़ में ठहाका था . नवल उपाधिया चकाचक बनारसी की कविता सुनाते हुए आगे बढ़ गए -दिन में बोले राम राम / औ रात में सौ सौ ग्राम 

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