Tuesday, December 3, 2013

चिखुरी / चंचल
हम तुम से मोहब्बत करके  सलम .....

                (    यह सुलेख उन दोस्तों के नाम है जिन्हें तानाशाही नहीं पसंद है .इसमें रामबचन पांडे पूर्व अध्यक्ष छात्र संघ काशी विश्वविद्यालय का संशोधन नोट किया जाय कि यह उस  पीढ़ी के लिए है जो जम्हूरी निजाम चाहती है )
 ....यह लो एक खबर और ... मोहब्बत के जुर्म में जेल ..
तुम से एक बात कहा है कि जब भी अखबार बांचो ,सलीके से . लंठई मत किया कर .इ टीवी ना है अखबार है . समझे ? और उमर  दर्जी समझ गया कि अखबार लिखना ही सलीका नहीं रखता , उसका पढ़ना भी सलीका मागता है. चुनांचे उसने चिखुरी की डाट का जवाब सलीके से दिया और 'जनाब ' कहकर फर्सी सलाम मारा . चिखुरी ने उमर से कहा - चल मोटी -मोटी बता ,
मोटी मोटी ? शहर में मोटी रहें भले ही लेकिन उन्हें छपने की छूट नहीं है , हम अहमदाबाद रह के आये हैं . लोग पहले खा  पी के मोटी होती हैं फिर दुबला होने के लिए सड़क दर सड़क घूमती हैं .उमर अभी बहुत कुछ बोलता लेकिन छप हो जाना पड़ा क्यों कि अखबार का . पहला पन्ना कोलई दूबे के हाथ में है - बुड़बक हो ,उसे मार्निंग वाक् कहते हैं .
कयूम को मौक़ा चाहिए होता है -इस्वाक में क्या होता है ?कयूम सवाल नहीं पूछते ,सवाल की गाँठ खोजते हैं .सो कोलई को विस्तार में जाना ही पड़ा .- पुरुष और महिला अल सुबह पार्क में चले जाते हैं . चुस्त पजामा और ढीली कुर्ती . जोर जोर से सांस निकालते हैं बंद कमरे का मशीन वाला हवा बाहर छोड़ते हैं और पेड़ पौधों की खुशबूदार हवा अंदर खींचे हुए तेज रफ़्तार से चलते हैं . महिलायें आगे रहती हैं पुरुष पीछे . ऐसा क्यों ? लखन कहार का सवाल टेढ़ा था . चिखुरी पलटे- इस लिए कि पुरुष  बत्तमीज होता है . कोलई चौके -ये लो .ताबक तोड़ दो ख़बरें .
सुना जाओ अभी चाय पक रही है .
पक नहीं रही है , दूध ही फट गया . आसरे ने ऐलान किया और बर्तन को फिर से धोने लगा . लाल्साहेब की आँख गोल हुई -कमाल है इस जमाने में भी दूध फटे लगा ? देखते देखते ज़माना खराब हुआ है . लाल्साहेब चालू हो गए - अभी कल मी बात है दूध फटने न पाए इसके लिए कितनी साफ़ सफाई रखनी पड़ती थी ,एक के घर में घी बनता था तो पूरा गाँव जान जता था . अबतो न कोइ महक न स्वाद . सब कुछ नकली .लखन ने एक अलग का किस्सा सुनाया . ''' पप्पू क भौजी बैगन खरीद कर ले गयी थी . एक बैगन बचा कर रखदी थी कि सुबह आलू मिला के चोखा बनाएंगे ,लेकिन सुबह क्या देखती है कि बैगन फूल के लौकी हो गया है . पूरे गाँव में कोहराम .पता चला आजकल सब्जियों को भी इन्फेक्सन दिया जाता है .
      इन्फेकन नहीं इंजेक्सन कहो .
     एकै मतलब हुआ .
लेकिन इ भी तो पता चले कि पप्पुआ क भौजी  बैगन रखे कहाँ रही ? एक साथ कई ठहाके लगे . लेकिन सबसे देर तक हँसते हैं कयूम मिया और उनके हँसने का तरीका कत्तई  आलग है . वे थोड़े थोड़े देर के अंतराल पर फिस्स ... फिस्स   करते रहेंगे .
   खबर तो सुनो , कोलई ने जोर का हांका मारा . और लोगों के कां उधर हो गए . एक साथ दो खबर . दोनों का मामला एक है ..
  मामला मत सुनाइये खबर पढ़िए . ..तहलका के संपादक पर बलात्कार का आरोप .
यह तहलका क्या है भाई ?  मद्दू ने बताया -तहलका ? यह हंगामा से मिलता जुलता है . उसके कोइ संपादक हैं तरुण तेजपाल उन्होंने ,,,,,,,
किसके साथ किया ?
उसका नाम नहीं है .
दूसरा ?
एक साहब है अमित शाह उन्होंने एक लड़की की जासूसी कराई वो भी अपने साहेब के लिए .
पूरा दिन खराब हो गया .कहते हुए चिखुरी ने मद्दू को उकसाया . -आपै बताओ भाई तुम भी अखबार से हो . का लगते हो अखबार के ? मद्दू इस सवाल के लिए तैयार  नहीं थे ,झिझकते हुए बोले -संबाददाता ...... हुआ यूँ कि ये जो साहब हैं तरुण जी अपने किसी महिला संपादिका से जबरदस्ती करने लगे और लगे 'लिफ्ट' मागने ' बस बात खुल गयी लिफ्ट की वजह से . अब पुलिस तरुण को गोवा ले जा रही है क्यों कि लिफ्ट वही गोवा में ही पडी है .और दूसरी ?
दूसरी खबर और भी नाजुक है .....गुजरात के कलेत्टर थे प्रदीप शर्मा . इसलिए उन्हें गुजरात की सरकार ने गिरफ्तार कर के जेल में डाल दिया.ताकी लोगों को पता तो चले कि जब इतने ऊंचे ओहदेदार को जेल में डाला जा सकता है तो बाकी किसकी औकात ? कभी सुना कि वहा कोइ कुछ बोला हो ? कोइ सवाल उठा हो ? इसे कहते हैं तर्ज ये हुकूमत . इसे ही कहते हैं 'गुजरात माडल . ' इस माडल में हर कोइ चौकन्ना रहता है . कोइ किसी से बात नहीं करता बात करनी है तो पहले जेल जाओ ,जमानत कराओ ,बाहर निकलो ,बात करो .फिर नयी धारा में जेल जाओ . इसी नुस्खे को पूरे देश में लगाने का इंतजाम किया जा रहा है . बशर्ते जनता समझे .लेकिन इस साथ साल में जनता भी बदजुबान हो गयी है ,अपने ही नेता से जुबान लड़ाती है . भाई नेता जी जो बोलें सब सही .उस पर सवाल मत उठाओ .उठाओगे   तो भोगो गे .साहेब कुछ भी कर सकते हैं किसी के भी गर की खाना तलाशी ले सकते हैं लेकिन साहेब की तरफ मत देखो . शर्मा जी को देखो , भाई चुप चाप चुप ही रहते क्यों झाकने लगे . बस चलो जेल क्यों कि शर्मा जी उस सी डी  को जानते हैं जो अमित के साहेब और साहेब की महबूबा के बारे में है .
इ सी डी का होती है भाई .लखन ने गंभीर सवाल पूछा . चिखुरी ने घुड़का - जवानी भी जा रही है और सी डी नहीं जानते ? भाजपा तो जानते हो न ? यह उसका खेल है . सटीक लगता है . यह एक तरह का तावा होता है इसमें गाना बजाना .नाचना कूदना बातचीत सब होती है . कहते हैं कि साहेब उस सी डी में हैं .और लोग यह भी कहते हैं कि इसी सीडी से साहेब ने संजय जोशी का खेल  खत्म किया था अब वही सीडी खुद के गले में फंस गयी है . लाल्साहेब बीच में आ गए -बोया पेड़ बबूल का ... ये अमित शाह कौन है भाई ?
... लोग बताते हैं इसकी पैदाइस शिकागो में हुई है .कई तरह की पढाई किया पर सुधरा नहीं ,गुजरात आगया और सरकार कामंत्री बन गया .
और ये साहेब कौन हैं ?
साहेब कहते हैं मुख्यमंत्री को .
और साहेब क्या कहते हैं ?
खलक खुदा का ,
हुकुम शहर कोतवाल का ,
हर खास व आम को आगाह किया जाता है कि -
डॉ धर्मवीर भारती की कविता पूरे सुर में बाचते हुए नवल उपधिया आगे बढ़ गए .

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर ! जीवित से लगते... चिर-परिचित गँवई-किरदारों की सहज-सरल बोली-बानी व तीखी-चुटीली नोक-झोंक के ताना-बाना में बुन कर, आज के शहरी ऊँचे-ओहदे के तिरिया-चरित्र व कृपणतम-राजनीति को व्यंगात्मक भाषा-शैली में प्रतिबिंबित कर, सच्चाई उजागर किया है आपने... कि लोग जाने, समझें और सतर्क रहें... कि नेपथ्य में भी क्या-क्या होता है !

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