Tuesday, September 11, 2012


इस कायनात में औरत से ज्यादा खूबसूरत और कुछ नहीं ........
एक दिन हम संगीत विभाग के बगल घने ऊबड़ -खाबड बेतरतीब उगे पेड़ों के बीच बैठे लैंडस्केप बना रहें थे . अचानक कहीं से घूमते हुए अप्लाइड के हेड पम्मी लाल आगये . बहुत प्यारे टीचर थे .शकुंतला सिंह जो हम लोंगो के साथ थी , उसके पीछे खड़े हो गए . उस समय वह कोइ फ़िल्मी गाना गा रही थी और पेन्सिल से स्केच कर रही थी . पम्मी ने पूछा क्या हो रहा है ? उसने पलट कर पीछे देखा और बोली - सर आगे लाइन भूल रही हूँ .. बता दीजिए न ... ! दोनों में उस गाने को लेकर बहस चल पडी . अंत में तय हुआ कि कल पूरी क्लास  '  आनंद ' देखेगी . और टिकट का भुगतान पम्मी लाल करेंगे . ( ऐसी घोषणाएँ कई बार हो चुकी हैं लेकिन बस यहीं तक ) अचानक पम्मी ने पूछा इसमें हिरोइन कौन है ? शकू ने बताया कोइ नहीं .. ! तो फिर कैंसिल . बगैर हिरोइन के मै कुछ नहीं देखता . हम सब चौकन्ने हो गए . अजीब स्थापना है ? किसी दूसरी लड़की ने पूछा था - सर मान्लिजिये आप यहाँ अकेले बैठ कर लैंडस्केप बना रहें हैं तो आप इसे भी नहीं देखेंगे .. ? पम्मी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया - यहाँ तो बहुत सारी हीरोइने हैं ... ! इन पेडों में ? उन्होंने कहा हाँ , इन  पेडों में , टहनियों में , पत्तियों में . पर देखो तो सही . प्रकृति के हर हिस्से में स्त्री है . पुरुष है , चलो आज तुम लोग देखना शुरू करो . किसी एक को अपने सामने कर लो गौर से देखो उसके लिंग , उम्र . उसका मूड . सब कुछ तुम्हे पता चल जायगा . जब तक यह जानकारी नहीं होगी तुम उन्हें तमीज से नहीं पेट कर सकते .
     प्रकृति की इस नायाब धरोहर  'स्त्री ' पर आज नीलाक्षी जी ने एक असामान्य टिप्पणी की है कि पुरुष को उसकी देह की सुंदरता ही लुभाती है इसलिए वह उसका गुणगान करता है . यह आधा सच है नीलाक्षी जी ! नीलाक्षी जी ! सौंदर्य तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि उसमे करुणा न हो . इस लिहाज से औरत हर हाल में प्रकृति की सबसे बड़ी और अकेली धरोहर है . इसलिए हर औरत खूबसूरत होती है , करुणा से भरी होती है . वह रचना है और रचनाकार भी . पोषक है और हरपाल रचना में लींन रहती है . किसी भी 'तत्व' को बरगी कृत करेंगी तो कुल आठ कारक मिलेंगे जो धनात्मक है वह स्त्री है जो ऋणात्मक है वा पुरुष है . उदाहरण के लिए एक रचना करती है , दूसरा विध्वंश .....
        हे देवियो ! हमें एक कोमल छाया दीजिए .  

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