Friday, October 16, 2015

बतकही / चंचल
गांधी ,नेहरु , जे पी . लोहिया को  पढ़ कर का करेंगे
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          ई राजेन्द्र चौधरी कौन है ?
- सच्ची बोलें ? तोर बाप है . चोर , बनडोल , डकैत , चमचोर ,बलात्कारी औ लुटेरों क इतिहास तुम्हरी जबान पर है , औ पूछि रहा है राजेन्द्र चौधरी कौन है ? तुम्हारी गलती नहीं है , पिछले कुछ सालों से बयार ही ऐसी चली है कि जो जितना बड़ा अपराधी ,उतना ही बड़ा उसका लावाजिमा और उतनी ही बड़ी पूजा . कल तक रहा कि अगर कोइ अपराध में पकड़ा गया तो क़ानून बाद में सजा देता रहा , समाज पहले ही टाट बाहर कर देता रहा औ हुक्का पानी सब बंद . राजिंदर के सवाल पर लम्मरदार का इस तरह भडकना लोगों को अजीब लगा , क्यों कि लम्मरदार जल्दी उबलते नहीं . लेकिन लगता है कहीं और से बौखलाए हुए आये हैं . लाल साहेब ने सम्भाला - बैठिये लम्मरदार ! आज अदरख की चाय बना रहा हूँ . का बात है आज सुबहे उखड गए ? लम्मरदार ने लाठी बगल दीवार पर टिकाया और तख़्त पे जम कर बैठ गए .लंबी सांस ली और बोलना शुरू किये . पूरे गाँव में का अगल बगल हर जगह चर्चा है कि एक ठेठ गाँव में लोगों को पढ़ने के लिए , उठने बैठने के लिए , और अपने पुरखों के बारे में जानने के लिए ' दस्तावेज ' बनाया जारहा है ....... बात पूरी हो इसके पहले ही उमर दरजी ने टोका - काका ! आज वाकई बहकी बहकी बात कर रहो  हो कुछो , कुछो ना समझ में आय रहा बा , एंटीना से ऊपर निकल जा रहा है ? लम्मरदार मुस्कुराए .बताता हूँ .परधान क लडिका पढ़ लिख के गाँव आवा . कुछ दिन तो यूँ ही गाँव गाँव घूमता रहा . पता नहीं का सनक सवार हुयी कि बोला - अब गाँव में एक पुस्तकालय की जरूरत है , एक बाजार की जरूरत है जहां गाँव में बनने वाले पुश्तैनी रोजगार को फिर से स्थापित किया जा सके ,इस समय समूचे देश को इन दो चीजों की बहुत जरूरत है वरना आगे आने वाली पीढ़ी तो और भी निकम्मी  निकलेगी . अपनी कुल पूंजी लगा कर उसने पुत्कालय तो खोल दिया , अब उसे और आगे बढ़ाना था . जहां एक जगह वे सारे दस्तावेज मुहैया हो सकें जिन्हें हमारी पीढ़ी नहीं जानती . गांधी , नेहरु , डॉ लोहिया , जे पी . आज की पीढ़ी के लिए यह जरूरी है कि इन पुरखों के बारे में गंभीरता से जाने . उस हिस्से का नाम रखा गया है दस्तावेज . इसी के बगल में एक कतार से छोटी छोटी दुकाने बनाने का इरादा है जहां लोहार , कुम्हार , धरिकार , रंगरेज . धुनिया वगैरह अपने पुश्तैनी पेशे के साथ इज्जत के साथ ,अपना काम करे और उसे देश दुनिया देखे . इस आयोजन के लिए राजेन्द्र चौधुरी ने अपने निधि से मदद किये . और इसकी चर्चा चारों ओर है . क्यों कि अब तक जो होता रहा कि सांसद और विधायक अपने निधी से जो भी मदद करते रहे , पहले उसका कमीशन ले लेते रहे . यहाँ एक भी पैसे का लेन देन नहीं हुआ है . इसकी वजह जान लो चौधरी राजेन्द्र निहायत ईमानदार नेता है और खुत्थड समाजवादी . औ ई बकलोल पूछ रहा है कि कौन हैं राजेन्द्र चौधरी ? अजीब हालत में समाज पहुँच चुका है . न नेक काम की चर्चा , न नेक नाम की जानकारी . इस लिए गुस्सा आ गया . कल का किस्सा सुने ? बनारस हवाई अड्डे पर कुछ देर के लिए मुलायम सिंह यादव रुके . बिहार से वापस आ रहे थे . गणेशी परम्परा के समाजवादी वहाँ पहुँच गए . मुलायम सिंह से कहा गया कि बनारस में डॉ लोहिया की एक प्रतिमा लगवा दीजिए .मुलायम सिंह ने बहुत माकूल जवाब दिया . - डॉ लोहिया पर सेमीनार भी किये हो कभी ? जे पी और आचार्य नरेंद्र देव को पढ़े हो ? समाजवादियों में आपस में ही तू तू मै मै शुरू हो गयी और मुलायम जी बगैर विश्राम किये अपनी यात्रा पर चले गए . लेकिन एक सवाल तो छोड़ ही गए - मूर्ती पूजा और विचार में किसको पकडना है ? और किसके विचार ?
   - तो इस दस्तावेज में कौन कौन से लोग आयेंगे ? कीन उपाधिया ने कुटिल हंसी के साथ पूछा क्यों कि जब से यह पुस्ताकलय शुरू हुआ है कुछ नौजवान गांधी लोहिया आचार्य , पंडित नेहरु के बारे में जानने लगे हैं और संघियों के झूठ का जवाब भी देने लगे हैं ,कीन उपाधिया को यह खटकता है क्यों कि ये पुराने संघी हैं और अब तक जो कुछ भी झूठ फुर बोलते थे पब्लिक मुह बाए सुनती थी . उनके प्रचार को धक्का लगा है . लम्मरदार ने कीन को देख कर हँसे -  बकलोल ! एक साल से भी ज्यादा हुए केन्द्र में तुम्हारी सरकार है . चुनाव हुए और हो रहे हैं . कहीं एक भी जगह अपने किसी नेता का नाम सुना कि उनके नाम पर वोट माग रहे हों ? हेडगवार , गोलवरकर , अटल या अडवानी किसी का नाम आया ? कभी गांधी , कभी पटेल , अब डॉ लोहिया , जे पी .. ? बोल ! सच है न . और जब गांधी लोहिया जे पी के विचार से मुठभेड़ होगी तब क्या करोगे ? अब भी वक्त है तू ' दस्तावेज में बैठना शुरू कर . वहाँ तुम्हारी भी किताबें मिलेंगी जिसमे तुमने नफरत के पाथ पढाएं हैं , उन्हें पढ़ कर तुम्हे शर्म आयेगी . पूछों न अपने नेता से कि बंच आफ थाट कहाँ है / बच्चू कोइ न कोइ समाजवादी ज़िंदा रहेगा और वह ठोस धरातल बनाएगा ही . परम्परा मिटनेवाली नहीं है . राजेन्द्र चौधरी उसकी एक मजबूत कड़ी हैं . उनके पास न मकान है , न बख्तर बंद गाड़ियों का काफिला , न बन्दूक है न संदूक लेकिन आज वह उत्तर प्रदेश का एक मजबूत शख्स है जिसके पास उसकी सबसे बड़ी तिजारत है इमानदारी और वैचारिक प्रतिबद्धता . चल वक्त हो तो दस्तावेज चलो .

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