Thursday, January 10, 2013

आज 'शास्त्री जी ' की पुण्यतिथि है .........
............ सोमवार को  भोजन बन्द . यह आदेश नहीं था , एक छोटे कद के बड़े दिलवाले विनम्र प्रधानमंत्री का निवेदन था अपनी देश की जनता के नाम .न कोइ ताम झाम न पर्चा न भोंपू . एक सहज भाषा में कही गयी बात देश ने गाँठ बांध लिया .
   इस एक ' निवेदन ' ने अमेरिका को खुली चुनौती दे दी . खालीपेट रहेंगे लेकिन हाथ नहीं फैलायेंगे . पी यल ४८० ... अमरीकी बाजरा और मक्का गेहूं लेने से इनकार . पाकिस्तान को पसंद आया . भारत की विपत्ति में मौक़ा नहीं चूकना है हमला कर दो . हमला हुआ . शास्त्री ने नारा दिया - जय जवान , जय किसान ' . अदभुत सोच . जवान देश की सीमा सहेजे और किसान देश का सीना मजबूत करे . हम दोनों जगहों पर जीते .  इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना जुड़ा . सारी दुनिया हतप्रभ थी . अमरीकी टैंक जो पाकिस्तान को दिए गए थे , भारत के जांबाजों ने उसे खिलौने की तरह तोड़ा . पाकिस्तान झुक गया . उसे रातो रात अपनी राजधानी बदलनी पडी . यह पाकिस्तान की हार ही  नहीं थी पाकिस्तानी अवाम का सीना भी सिकुड़ गया . पाकिस्तान की सरकार अपनी जनता से लगातार झूठ बोले जा रही थी उसका रेडियो ऐलान करता - हम यहाँ जीते , हम वहाँ आगे बढ़ गए , लेकिन जो जमीन पर हो रहा था इसका अंदाजा अवाम ने लगा लिया था . ( इसका एक जिक्र पाकिस्तान के प्रसिद्ध लेखक इन्तजार हुसैन ने अपने उपन्यास ' आगे समंदर  है ' में किया है )
   सोवियत रूस ने बीच बचाव किया , समझौता हुआ . उसी रात शास्त्री जी का दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया . इसके पहले दिन दुनिया के सारे अखबारों ने एक फोटो छापे थे . ताशकंद हवाई अड्डे पर अयूब खान और लालबहादुर शास्त्री के . अयूब झुके खड़े हैं और शास्त्री जी ऊपर की ओर तने खड़े हैं . मानवीय संरचना भी कई बार परिस्थिति का का बयान करने लगती हैं . यहाँ भी यही हुआ . अयूब सात फिट से भी बड़ा सैनिक तानाशाह और कहाँ शास्ती जी का कद .
         गरीबी और अभाव से निकले शास्त्री जी गांधी के पक्के अनुयायी थे ,राम नगर ( बनारस के गंगा उसपार ) से पैदल चल कर काशी विद्यापीठ पढ़ने आते थे . गंगा तैर कर इस पार आना ......
आज पूरा राष्ट्र शास्त्री जी को नमन कर रहा है .
     

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