चिखुरी / चंचल
यह राजनीति है भाई , जमूरों का जमावडा नहीं .
-----------------------------------------------------
-... ये भाई ! ये बिहार कहाँ है ? लखन कहार का सवाल चौराहे की संसद को सन्नाटे में ला दिया . नवल उपाधिया की आँखे गोल हो गयी , - पटना सुने हो ,? उसे ही बिहार कहते हैं . बुडबकों की तरह बात करते हो .बिहार नहीं बूझते . ? लखन मुस्कुराए - तो चुनाव पटना में हो रहा है बाद बाकी आरा मुगेर भागल पुर , मोतिहारी और औराही हिंगना वगैरह में नहीं ? नवल गच्चा खा गए . गो कि नवल और लखन कहार कलम एक से लेकर कलम आठ तक एकय साथ पढ़े रहे ,बस इतना फरक आवा है कि लखन बगैर नागा हर रोज अखबार बांचता है और नवल साइकिल उठाये गाँव गिराँव की खबर वहाँ से उठाते हैं और चौराहे पर ला कर कुरय देते हैं . जनता जनार्दन दिन भर उसे धान की तरह कूटती पछोरती रहती है. आज नवल के समझ में आवा कि अखबार कितने काम की चीज है . तो एक बात बताओ लखन भाई ! जब बिहार जानते रहे तो फिर काहे पूछे ? लखन ने गौर से नवल को देखा फिर कीन उपधिया को झकझोरा - अखबार बताता है ,हम नहीं कहते , पिछले कुछ दिनों से देश का इतिहास और भूगोल दोनों बदला जा रहा है . कहो कीन कुछ गलत कहा का ? पिछली दफा कीन के नेता ने बिहार में तक्षशिला में ला दिया था . लोग बताते हैं कि वो अभीतक तक्षशिला वहीं है . बोरिंग कैनाल रोड की खुदाई हो तो तक्ष शिला साछात मिलेगी . मद्दू पत्रकार से नहीं रहा गया - इन्हें इतिहास और भूगोल दोनों ही बाहुत सालता है . होता क्या है कि ऐसे में जब भी इन्हें उछल कूद करनी पड़ती है तो उधार की तरफ भागते हैं . इन्होने एक नयी परम्परा डाली . प्रायोजित कार्यक्रम . नहीं समझोगे . इसे ऐसे समझो . तुम्हे चुनाव लड़ना है तो सभा जुलूस निकालोगे . कार्यकर्ताओं को पहले लगना पड़ता था , भीड़ जुटाने के लिए , पोस्टर पर्चा बाटने के लिए अब ऐसा कुछ नहीं है अब देश और विदेश में नयी नयी कंपनियां खुल गयी हैं जो एक मुस्त पैसा लेकर सारा काम कर देती हैं . लॉस स्पीकर , रोशनी . अखबार , डिब्बा यहाँ तक की भीड़ भी . ' भीड़ का चरित्र ' कैसा होना चाहिए . कितनी बुर्के वाली औरतें होनी चाहिए . कितने तहमत , कितनी टोपियां वगैरह सब का इंतजाम एक कम्पनी करती है यहाँ तक कि क्या बोलना है . और किस जगह ताली बजाना है . सब प्रायोजित रहता है .इसे कहते हैं गुजरात माडल . सुना है यही माडल अब कई और लोग भी ला रहे हैं बिहार में . ......
- इससे का होगा ? कयूम ने सवाल पूछा .
- इससे यह होगा कि एक बार फिर जनता झांसे में फंसेगी ...कहते हुए मद्दू ने चिखुरी की ओर निहारा और फिर अपनी बात से मुकर गए - लेकिन बिहार में यह नहीं चल पायेगा . यह बिहार भइये . इसने बहुत कुछ देखा है बहुत कुछ दिखाया भी है . अब चिखुरी की बारी थी - झूठ फरेब , छल प्रपंच एक ही बार चलता है . अब तो पूरा देश ही समझ गया है . जिन बातों को जोर देखर जनता को उकसाया और उसे मोह में फंसाया उसी से पलटी मार रहा है .कोइ कहता है जुमला था , कोइ सफाई देता है हमने तो चुनाव में बोला था ,सरकार में आने के बाद तो नहीं बोला . ? बोलो क्या कर लोगे ? अब देखो संख्या की ताकत और सत्य की ताकत . किसान की जमीन लेने के सवाल पर सरकार को झुकना पड़ा है . यह उसकी ताकत थी कांग्रेस ने झुकाया . संसद से बाहर निकाल कर सरकार ने लोकतंत्र के पेट में चाकू भोंका है . इसका जवाब तो जनता मागेगी न ?
- हाँ ये तो हम भूले ही गए थे कि कांग्रेस ने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया रहा कि उसे संसद से बाहर निकाल दिया गया ? और तो और ऐसे भी सांसदों को भी बाहर निकाला गया जो सडन में मौजूद भी नहीं थे ? इस बातको भाजपा नेता भी कह रहे हैं . ?चिखुरी संजीदा हो गए - इस सरकार से सवाल मत पूछो . मध्य प्रदेश में व्यापम घपला हुआ कई लाख करोड़ का . कई पीढ़ियों की जिंदगी का . उसे छिपाने के लिए अब तक पचास लोग कम से कम मारे जा चुके हैं . यह सवाल मत पूछो . भारत का वित्त मंत्रालय एक अपराधी को पकड़ने लिए वारंट जारी करता है ,उसीसर्कार का विदेश मंत्रालय उसे बचाता है यह सवाल मत पूछो .राजस्थान की सरकार उस भगोड़े से लंबी रकम लेकर अपने निजी उद्योग में लगाती है यह भि मत पूछो . छातिसगढ़ की सरकार गरीबों का चावल खा जाती है यह मत पूछो . यही तो पूछा था कांग्रेस ने . उनको निकाल कर बाहर कर दिया . अब जब बिहार यह सवाल पूछेगा तो कौन किसको निकालेगा यह देखना है ? जे बात है . लाल साहेब ने अब समझा . लेकिन लखन ने क्यों पूछा बिहार कहाँ है ? कहकर लाल साहेब मद्दू पत्रकार की तरफ मुखातिब हुए . मद्दू ने बताया - सुनो यह सवाल उठाने का एक नायाब तरीका है जो बहुत चोख होता है .एक किस्सा सुनो समझ में आ जायगा .
कभी कभी भरी भीड़ में स्वर्गीय राज नारायण जी उठा दिये करते थे . उस परम्परा पर कल्पनाथ राय चले , लालू यादव अक्सर चल देते हैं . ये सवाल तीखे और बेचैन करनेवाले होते हैं . एक उदाहरण सुन लीजिए . ७७ में देश की सरकार पलट गयी थी . कांग्रेस सत्ता से बाहर हुयी थी . कई हस्तियाँ कांग्रेस से बाहर होकर जनता पार्टी में शामिल हुयी थी . उनमे से एक थे इंद्र कुमार गुजराल . जो जमाने तक कांग्रेस के साथ रहे और इंदिरा गांधी के निहायत ही विस्वसनीय रहे . रूस में भारत के राजदूत रहे . जंतर मंतर में जनता पार्टी की बैठक चल रही थी . राज नारायण जी थोड़ा देर से पहुचे , उस वक्त गुजराल साब कुछ बोल रहे थे . नेता जी अंदर घुसते ही व्यवस्था का सवाल उठा दिये . चंद्रशेखर जी अध्युक्ष रहे . नेता जी सीधे अध्यक्ष जी से मुखातिब हुए - ' अध्यक्ष जी ! ये कौन साहब बोल रहे हैं ? पूरे हाल में सन्नाटा . गुजराल साहब बैठ गए . अध्यक्ष जी समझ गए कि इस सवाल का अंदरूनी हिस्सा क्या है . मधु जी (स्वर्गीय मधु लिमये ) जी उठे और बोले - कोइ नहीं बोल रहा है अब आप बोलिए .समझे ? नवल ने कहा- जी! बहुत समझे .
यह राजनीति है भाई , जमूरों का जमावडा नहीं .
-----------------------------------------------------
-... ये भाई ! ये बिहार कहाँ है ? लखन कहार का सवाल चौराहे की संसद को सन्नाटे में ला दिया . नवल उपाधिया की आँखे गोल हो गयी , - पटना सुने हो ,? उसे ही बिहार कहते हैं . बुडबकों की तरह बात करते हो .बिहार नहीं बूझते . ? लखन मुस्कुराए - तो चुनाव पटना में हो रहा है बाद बाकी आरा मुगेर भागल पुर , मोतिहारी और औराही हिंगना वगैरह में नहीं ? नवल गच्चा खा गए . गो कि नवल और लखन कहार कलम एक से लेकर कलम आठ तक एकय साथ पढ़े रहे ,बस इतना फरक आवा है कि लखन बगैर नागा हर रोज अखबार बांचता है और नवल साइकिल उठाये गाँव गिराँव की खबर वहाँ से उठाते हैं और चौराहे पर ला कर कुरय देते हैं . जनता जनार्दन दिन भर उसे धान की तरह कूटती पछोरती रहती है. आज नवल के समझ में आवा कि अखबार कितने काम की चीज है . तो एक बात बताओ लखन भाई ! जब बिहार जानते रहे तो फिर काहे पूछे ? लखन ने गौर से नवल को देखा फिर कीन उपधिया को झकझोरा - अखबार बताता है ,हम नहीं कहते , पिछले कुछ दिनों से देश का इतिहास और भूगोल दोनों बदला जा रहा है . कहो कीन कुछ गलत कहा का ? पिछली दफा कीन के नेता ने बिहार में तक्षशिला में ला दिया था . लोग बताते हैं कि वो अभीतक तक्षशिला वहीं है . बोरिंग कैनाल रोड की खुदाई हो तो तक्ष शिला साछात मिलेगी . मद्दू पत्रकार से नहीं रहा गया - इन्हें इतिहास और भूगोल दोनों ही बाहुत सालता है . होता क्या है कि ऐसे में जब भी इन्हें उछल कूद करनी पड़ती है तो उधार की तरफ भागते हैं . इन्होने एक नयी परम्परा डाली . प्रायोजित कार्यक्रम . नहीं समझोगे . इसे ऐसे समझो . तुम्हे चुनाव लड़ना है तो सभा जुलूस निकालोगे . कार्यकर्ताओं को पहले लगना पड़ता था , भीड़ जुटाने के लिए , पोस्टर पर्चा बाटने के लिए अब ऐसा कुछ नहीं है अब देश और विदेश में नयी नयी कंपनियां खुल गयी हैं जो एक मुस्त पैसा लेकर सारा काम कर देती हैं . लॉस स्पीकर , रोशनी . अखबार , डिब्बा यहाँ तक की भीड़ भी . ' भीड़ का चरित्र ' कैसा होना चाहिए . कितनी बुर्के वाली औरतें होनी चाहिए . कितने तहमत , कितनी टोपियां वगैरह सब का इंतजाम एक कम्पनी करती है यहाँ तक कि क्या बोलना है . और किस जगह ताली बजाना है . सब प्रायोजित रहता है .इसे कहते हैं गुजरात माडल . सुना है यही माडल अब कई और लोग भी ला रहे हैं बिहार में . ......
- इससे का होगा ? कयूम ने सवाल पूछा .
- इससे यह होगा कि एक बार फिर जनता झांसे में फंसेगी ...कहते हुए मद्दू ने चिखुरी की ओर निहारा और फिर अपनी बात से मुकर गए - लेकिन बिहार में यह नहीं चल पायेगा . यह बिहार भइये . इसने बहुत कुछ देखा है बहुत कुछ दिखाया भी है . अब चिखुरी की बारी थी - झूठ फरेब , छल प्रपंच एक ही बार चलता है . अब तो पूरा देश ही समझ गया है . जिन बातों को जोर देखर जनता को उकसाया और उसे मोह में फंसाया उसी से पलटी मार रहा है .कोइ कहता है जुमला था , कोइ सफाई देता है हमने तो चुनाव में बोला था ,सरकार में आने के बाद तो नहीं बोला . ? बोलो क्या कर लोगे ? अब देखो संख्या की ताकत और सत्य की ताकत . किसान की जमीन लेने के सवाल पर सरकार को झुकना पड़ा है . यह उसकी ताकत थी कांग्रेस ने झुकाया . संसद से बाहर निकाल कर सरकार ने लोकतंत्र के पेट में चाकू भोंका है . इसका जवाब तो जनता मागेगी न ?
- हाँ ये तो हम भूले ही गए थे कि कांग्रेस ने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया रहा कि उसे संसद से बाहर निकाल दिया गया ? और तो और ऐसे भी सांसदों को भी बाहर निकाला गया जो सडन में मौजूद भी नहीं थे ? इस बातको भाजपा नेता भी कह रहे हैं . ?चिखुरी संजीदा हो गए - इस सरकार से सवाल मत पूछो . मध्य प्रदेश में व्यापम घपला हुआ कई लाख करोड़ का . कई पीढ़ियों की जिंदगी का . उसे छिपाने के लिए अब तक पचास लोग कम से कम मारे जा चुके हैं . यह सवाल मत पूछो . भारत का वित्त मंत्रालय एक अपराधी को पकड़ने लिए वारंट जारी करता है ,उसीसर्कार का विदेश मंत्रालय उसे बचाता है यह सवाल मत पूछो .राजस्थान की सरकार उस भगोड़े से लंबी रकम लेकर अपने निजी उद्योग में लगाती है यह भि मत पूछो . छातिसगढ़ की सरकार गरीबों का चावल खा जाती है यह मत पूछो . यही तो पूछा था कांग्रेस ने . उनको निकाल कर बाहर कर दिया . अब जब बिहार यह सवाल पूछेगा तो कौन किसको निकालेगा यह देखना है ? जे बात है . लाल साहेब ने अब समझा . लेकिन लखन ने क्यों पूछा बिहार कहाँ है ? कहकर लाल साहेब मद्दू पत्रकार की तरफ मुखातिब हुए . मद्दू ने बताया - सुनो यह सवाल उठाने का एक नायाब तरीका है जो बहुत चोख होता है .एक किस्सा सुनो समझ में आ जायगा .
कभी कभी भरी भीड़ में स्वर्गीय राज नारायण जी उठा दिये करते थे . उस परम्परा पर कल्पनाथ राय चले , लालू यादव अक्सर चल देते हैं . ये सवाल तीखे और बेचैन करनेवाले होते हैं . एक उदाहरण सुन लीजिए . ७७ में देश की सरकार पलट गयी थी . कांग्रेस सत्ता से बाहर हुयी थी . कई हस्तियाँ कांग्रेस से बाहर होकर जनता पार्टी में शामिल हुयी थी . उनमे से एक थे इंद्र कुमार गुजराल . जो जमाने तक कांग्रेस के साथ रहे और इंदिरा गांधी के निहायत ही विस्वसनीय रहे . रूस में भारत के राजदूत रहे . जंतर मंतर में जनता पार्टी की बैठक चल रही थी . राज नारायण जी थोड़ा देर से पहुचे , उस वक्त गुजराल साब कुछ बोल रहे थे . नेता जी अंदर घुसते ही व्यवस्था का सवाल उठा दिये . चंद्रशेखर जी अध्युक्ष रहे . नेता जी सीधे अध्यक्ष जी से मुखातिब हुए - ' अध्यक्ष जी ! ये कौन साहब बोल रहे हैं ? पूरे हाल में सन्नाटा . गुजराल साहब बैठ गए . अध्यक्ष जी समझ गए कि इस सवाल का अंदरूनी हिस्सा क्या है . मधु जी (स्वर्गीय मधु लिमये ) जी उठे और बोले - कोइ नहीं बोल रहा है अब आप बोलिए .समझे ? नवल ने कहा- जी! बहुत समझे .
No comments:
Post a Comment