चिखुरी / चंचल
ताला ,जंगला .लालटेन सब ठीक है . आइये !
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..... ' इमरजेंसी में हैं .
निजामुद्दीन इमरजेंसी में हैं यह खबर आग की तरह पूरे गाँव में फ़ैल गयी . हस्बे जैल अर्ज कर दूँ कि गाँव में कोइ भी खबर सीधे सीधे नहीं फैलती वह जिस डगर से चलती है उस डगर की राख- पात , नमक मिर्च सब उस खबर में लिपटते चलते हैं . अब इसी खबर को देखिये निजामुद्दीन चले थे मेले में जाने के लिए गजर से निकले थे तो पूरी तैयारी के साथ जैसा कि कीन उपाधिया ने उन्हें समझाया था - सुनो मान्यवरो ! भाइयो और बहनों ... उमर दरजी ने टोका भी - बहनों एक भी नहीं है आगे बोलो . कीन ने उमर को घुडकी भीभी दी थी - उमर ! बर् बख्त मजाक मत किया करो यह जन हिट का मामला है और सरकार का फैसला है देश नहीं दुनिया इसे मना रही है .... यह एक तरह का स्वास्थ मेला है .रोग कोइ भी हो असाध्य हो मुला ठीक होने की गारंटी है दवा दारू से नहीं बस योगा से ... लाल साहेब ने टोका - योगा नहीं योग बोला जाय . कीन मुस्कुराए हू ब हू अटल जी की तरह - योग देसी चीज है , हमने इसे विदेश तक पहुचाने के लिए इसके आगे एक खड़ी पाई और लगा दी है समझे , आपको करना कुछ नहीं है बस चटाई ले लीजिए . चटाई न हो बोरा , चदरा कुछ भी लेते चलिए जिससे आपको तकलीफ न हो . नवल मुस्कुराए - साथ में तेल भी ले चलना है कि सरकार देगी ?पब्लिक ने हंस दिया . कीन चुंकी आज मंच पर हैं इसलिए उन्हें इतना तो अख्तियार है ही कि कार्यक्रम में व्यवधान डालनेवाले को हिदायत देकर आगे बढ़ गए .इतनी सी बात हुयी थी और निजामुद्दीन अल सुबह अपनी दरी लेकर उस योग मेला में गए थे . दोपहर को खबर आयी कि निजामुद्दीन तो इमरजेंसी गए अलबता उनकी चटाई सही सलामत वापस आयी बताने वाले तो यह भी बताते हैं कि उनके इमरजेंसी जाने की खबर और चाई एक ही साठ गाँव आयी . लखन कहार का कहना है कि जब गुरु जी आये तो उन्होंने निजामुद्दें को बाहर खड़ा कर दिया और बोले कि आप तहमत पहन कर योग नहीं कर सकते क्यों कि कई आसान ऐसे हैं जिसमे तहमत नहीं चल पायेगा . और चुंकी साथ में एक साध्वी भी हैं इस लिए तो कत्तई नहीं . लेकिन निजामुद्दीन अड् गए और बोले कि -जनाब आप जो समझ रहे हैं उसे हम भी समझ रहे हैं हम तहमत को ऐसा गठिआयेंगे कि आपके हाफ पैंट से ज्यादा किलेबंद रहेगा . और समझौता हो गया . योग शुरू हुआ ही था कि तीसरे नंबर पर गुरूजी ने ऐलान किया कि योगियों अब हम पवन मुक्त करेंगे . और इसी पवन मुक्त पर तहमत ने जो धोखा दिया सो दिया ठीक पीछे चर्र की आवाज आयी लखन कहार ने अपने कान से सुना और पलट कर देखते इसके पहले ही निजामुद्दीन एक तरफ लुढक गए थे आँख बंद थी और जोर जोर से बोल रहे खींच रे नस फंस गयी है तुरते हस्पताल गए . पहले लोग हस्पताल जाते रहे अब इमरजेंसी जाते हैं यह बता कर लाल साहेब ने खुलते पानी में चाय की पट्टी डाल दी. इस तरह चौराहे की सांसद में इमरजेंसी ने प्रवेश लिया .
भिखईमास्टर ने धोती संभालते हुए पहला सवाल उठाया - आज की क्या खबर है भाई ? मद्दू पत्रकार ने गोलार्ध को बदला . बाएं पर टिके बैठे थे दाहिने पर आ गए . - वही इमरजेंसी . उमर की आँख गोल हो गयी . - इमरजेंसी ? घंटा भर ना भावा कि खबर दिल्ली तक जा पहुँची ? मद्दू ने घुडकी दी - अबे ! ऊ इमरजेंसी नहीं , इ दूसरी इमरजेंसी की बात होय रही बा . इमार जेंसी कई होती है का उमर का दूसरा सवाल था . लाल साहब ने बताना शुरू किया - एक दो की बात करते हो ? जब हम बंबई रहे कई इमरजेंसी देखे रहे . हर हस्पताल में एक इमरजेंसी होती है ... मद्दू मुस्कुराए - लाल्साहेब चाय बनाइये , हम जिस इमरजेंसी की बात कर रहे हैं वह राजनीति की इमरजेंसी है . हस्पताल की नहीं . राजनीति में भी इमरजेंसी होती है यह इस चुराहे के लिए नयी बात रही . और जो नयी बात होती है उस पर लोग चौकते ही हैं - लखन कहार ने कयूम मियाँ को ठोंका - सुन रहे हैं मियाँ राजनीति में भी इमरजेंसी होती है ,आप ततो सुराजी हैं खुदा न खास्ता जदी कभी कुछ हुआ तो आपको इमरजेंसी में जल्दी जगह मिल जायगी . बहस लंबी चली उसे कार्यवाही में नहीं दर्ज कर रहा हूँ जहा से काम की चीज निकली उसे सुना जाय
ताला ,जंगला .लालटेन सब ठीक है . आइये !
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..... ' इमरजेंसी में हैं .
निजामुद्दीन इमरजेंसी में हैं यह खबर आग की तरह पूरे गाँव में फ़ैल गयी . हस्बे जैल अर्ज कर दूँ कि गाँव में कोइ भी खबर सीधे सीधे नहीं फैलती वह जिस डगर से चलती है उस डगर की राख- पात , नमक मिर्च सब उस खबर में लिपटते चलते हैं . अब इसी खबर को देखिये निजामुद्दीन चले थे मेले में जाने के लिए गजर से निकले थे तो पूरी तैयारी के साथ जैसा कि कीन उपाधिया ने उन्हें समझाया था - सुनो मान्यवरो ! भाइयो और बहनों ... उमर दरजी ने टोका भी - बहनों एक भी नहीं है आगे बोलो . कीन ने उमर को घुडकी भीभी दी थी - उमर ! बर् बख्त मजाक मत किया करो यह जन हिट का मामला है और सरकार का फैसला है देश नहीं दुनिया इसे मना रही है .... यह एक तरह का स्वास्थ मेला है .रोग कोइ भी हो असाध्य हो मुला ठीक होने की गारंटी है दवा दारू से नहीं बस योगा से ... लाल साहेब ने टोका - योगा नहीं योग बोला जाय . कीन मुस्कुराए हू ब हू अटल जी की तरह - योग देसी चीज है , हमने इसे विदेश तक पहुचाने के लिए इसके आगे एक खड़ी पाई और लगा दी है समझे , आपको करना कुछ नहीं है बस चटाई ले लीजिए . चटाई न हो बोरा , चदरा कुछ भी लेते चलिए जिससे आपको तकलीफ न हो . नवल मुस्कुराए - साथ में तेल भी ले चलना है कि सरकार देगी ?पब्लिक ने हंस दिया . कीन चुंकी आज मंच पर हैं इसलिए उन्हें इतना तो अख्तियार है ही कि कार्यक्रम में व्यवधान डालनेवाले को हिदायत देकर आगे बढ़ गए .इतनी सी बात हुयी थी और निजामुद्दीन अल सुबह अपनी दरी लेकर उस योग मेला में गए थे . दोपहर को खबर आयी कि निजामुद्दीन तो इमरजेंसी गए अलबता उनकी चटाई सही सलामत वापस आयी बताने वाले तो यह भी बताते हैं कि उनके इमरजेंसी जाने की खबर और चाई एक ही साठ गाँव आयी . लखन कहार का कहना है कि जब गुरु जी आये तो उन्होंने निजामुद्दें को बाहर खड़ा कर दिया और बोले कि आप तहमत पहन कर योग नहीं कर सकते क्यों कि कई आसान ऐसे हैं जिसमे तहमत नहीं चल पायेगा . और चुंकी साथ में एक साध्वी भी हैं इस लिए तो कत्तई नहीं . लेकिन निजामुद्दीन अड् गए और बोले कि -जनाब आप जो समझ रहे हैं उसे हम भी समझ रहे हैं हम तहमत को ऐसा गठिआयेंगे कि आपके हाफ पैंट से ज्यादा किलेबंद रहेगा . और समझौता हो गया . योग शुरू हुआ ही था कि तीसरे नंबर पर गुरूजी ने ऐलान किया कि योगियों अब हम पवन मुक्त करेंगे . और इसी पवन मुक्त पर तहमत ने जो धोखा दिया सो दिया ठीक पीछे चर्र की आवाज आयी लखन कहार ने अपने कान से सुना और पलट कर देखते इसके पहले ही निजामुद्दीन एक तरफ लुढक गए थे आँख बंद थी और जोर जोर से बोल रहे खींच रे नस फंस गयी है तुरते हस्पताल गए . पहले लोग हस्पताल जाते रहे अब इमरजेंसी जाते हैं यह बता कर लाल साहेब ने खुलते पानी में चाय की पट्टी डाल दी. इस तरह चौराहे की सांसद में इमरजेंसी ने प्रवेश लिया .
भिखईमास्टर ने धोती संभालते हुए पहला सवाल उठाया - आज की क्या खबर है भाई ? मद्दू पत्रकार ने गोलार्ध को बदला . बाएं पर टिके बैठे थे दाहिने पर आ गए . - वही इमरजेंसी . उमर की आँख गोल हो गयी . - इमरजेंसी ? घंटा भर ना भावा कि खबर दिल्ली तक जा पहुँची ? मद्दू ने घुडकी दी - अबे ! ऊ इमरजेंसी नहीं , इ दूसरी इमरजेंसी की बात होय रही बा . इमार जेंसी कई होती है का उमर का दूसरा सवाल था . लाल साहब ने बताना शुरू किया - एक दो की बात करते हो ? जब हम बंबई रहे कई इमरजेंसी देखे रहे . हर हस्पताल में एक इमरजेंसी होती है ... मद्दू मुस्कुराए - लाल्साहेब चाय बनाइये , हम जिस इमरजेंसी की बात कर रहे हैं वह राजनीति की इमरजेंसी है . हस्पताल की नहीं . राजनीति में भी इमरजेंसी होती है यह इस चुराहे के लिए नयी बात रही . और जो नयी बात होती है उस पर लोग चौकते ही हैं - लखन कहार ने कयूम मियाँ को ठोंका - सुन रहे हैं मियाँ राजनीति में भी इमरजेंसी होती है ,आप ततो सुराजी हैं खुदा न खास्ता जदी कभी कुछ हुआ तो आपको इमरजेंसी में जल्दी जगह मिल जायगी . बहस लंबी चली उसे कार्यवाही में नहीं दर्ज कर रहा हूँ जहा से काम की चीज निकली उसे सुना जाय